बीजेपी नेता और सुल्तानपुर सीट से पूर्व सांसद मेनका गांधी को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने भाजपा नेता की चुनाव याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने इस बार चुनाव में जीते सपा सांसद रामभुआल निषाद को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया है।

लखनऊ हाई कोर्ट ने मेनका गाधी की इस याचिका को समय सीमा के उल्लंघन और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 81 और 86 के खिलाफ माना है।

दरअसल, सुल्तानपुर से लोकसभा चुनाव हारने के बाद मेनका गांधी ने सपा उम्मीदवार और मौजूदा सांसद राम भुआल निषाद के चुनाव को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मेनका गांधी ने अपनी याचिका में सपा सांसद के निर्वाचन रद्द करने की अपील की थी।

बता दें कि मेनका गांधी ने अपनी याचिका में कहा था कि सपा मौजूगा सांसद रामभुआल निषाद के खिलाफ कुल 12 आपराधिक मामले लंबित हैं, जबकि चुनावी हलफनामे में उन्होंने केवल 8 मामलों का ही जिक्र किया था।

उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि हलफनामे में आपराधिक पृष्ठभूमि के मामलों का खुलासा ना करना या इसे छिपाना भ्रष्ट आचरण में शामिल है। जिस पर अदालत ने भाजपा नेता की याचिका खारिज करते हुए कहा कि उनकी याचिका सीमा से बाधित थी।

बता दें कि मेनका गांधी की ओर से दायर की गई याचिका जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत दी गई 45 दिन की अवधि से सात दिन बाद दाखिल की गई थी। जिसके चलते हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए भाजपा नेता को जोर का झटका दिया है।

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