शिवसेना नेता संजय निरुपम में एक बार फिर कई मुद्दों पर खुलकर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम कलाकारों को लेकर कोई भेदभाव नहीं है, लेकिन ऐसे समय पर उनसे दो शब्द समर्थन के आने चाहिए थे। शायद उनके मन में यह डर था कि पाकिस्तान के विरोध में बोलने से उनकी मुस्लिम फैन फॉलोइंग नाराज हो सकती है, लेकिन सच यह है कि उनकी सबसे बड़ी फैन फॉलोइंग भारत में ही है, इसलिए उन्हें स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए था।
पाकिस्तान की हरकतों और भारत के पलटवार पर अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त करनी चाहिए थीं। विंग कमांडर व्योमिका सिंह के बारे में टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि हमारी सेना की कोई जाति नहीं होती, वह सभी की होती है। सैनिकों की जाति बताना सेना का अपमान है। कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी करके फंसे भाजपा मंत्री विजय शाह पर कहा कि जब किसी नेता ने माफी मांग ली हो तो बात को खींचना नहीं चाहिए।
संजय ने कहा कि यह भाजपा का आंतरिक मामला है और मुझे लगता है कि पार्टी इस मामले को संभालने में सक्षम है। पी. चिदंबरम पर संजय निरुपम ने कहा कि चिदंबरम साहब इन दिनों सच बोलने लगे हैं, इसका मैं स्वागत करता हूं। जब कांग्रेस ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी तो कोई पार्टी उनके साथ नहीं थी। INDIA गठबंधन अब टूटने की कगार पर खड़ा है।
सेना को लेकर क्या बोले संजय निरुपम?
संजय निरुपम ने कहा कि भारतीय सेना ने एक बार फिर साहस और पराक्रम का परिचय दिया है। देश उनकी बहादुरी के लिए कृतज्ञ है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से देशभर में तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है, जिसे जनसमर्थन मिल रहा है। जम्मू में 10 हजार से अधिक लोग तिरंगा यात्रा में शामिल हुए और सेना के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। सेना ने 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है। भारत ने इस अभियान में पूर्णतः विजय प्राप्त की है और इस पर हमें गर्व है।
शिवसेना भी तिरंगा यात्रा की शुरुआत करेगी, जो 18 मई को मुंबई से शुरू होगी। जो लोग भाजपा पर शक कर रहे हैं, वे जाकर पाकिस्तान की हालत देख लें। आज पाकिस्तान टूटा हुआ और बिखरा हुआ है। जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव आया और भीख मांगा गया, तभी जाकर हमने अपने कदम रोके। राजनीति के नाम पर भारतीय सेना का अपमान न किया जाए।
तुर्की के बॉयकॉट को सही ठहराया
भारत और तुर्की के रिश्ते पर्यटन के जरिए सुधर रहे थे, लेकिन तुर्की के हालिया रुख से साफ हो गया कि वह एक इस्लामिक राष्ट्र की तरह व्यवहार कर रहा है। तुर्की ने जिस तरह आतंकवाद का समर्थन किया है, उससे यह देश खुद एक ‘आतंकी समर्थक राष्ट्र’ बन गया है। भारत सरकार ने जनता के गुस्से को देखते हुए तुर्की के खिलाफ कदम उठाए हैं। 9 एयरपोर्ट्स पर सेवाएं दे रही तुर्की की कंपनी ‘Celebi NAS’ के कॉन्ट्रैक्ट को खत्म करने का फैसला स्वागतयोग्य है।
जामिया इस्लामिया और तुर्की विश्वविद्यालय के बीच हुआ समझौता भी रद्द कर दिया गया है। भारत हर साल तुर्की से 60 हजार करोड़ का आयात और 20 हजार करोड़ का निर्यात करता है, अब यह निर्यात भी बंद होना चाहिए। तुर्की ने भारतीय इतिहास को बदलने की कोशिश की थी, इसके बावजूद भारत ने उनके साथ संबंध ठीक रखने की कोशिश की थी। अब तुर्की का बहिष्कार जरूरी है। व्यापारियों से अपील है कि वे दुनिया के बाकी देशों से व्यापार करें, लेकिन तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों से नहीं।
संजय ने कहा कि तुर्की अमेरिका का मित्र देश है, लेकिन भारत को इससे कोई मतलब नहीं है। भारत को अब उससे संबंध नहीं रखना चाहिए। भारत की कूटनीति और ठोस कार्रवाई की प्रशंसा होनी चाहिए। वैश्विक सम्मेलनों में आतंकवाद के खिलाफ संकल्प लिया जाता है, लेकिन सबसे ज्यादा आतंकवाद से पीड़ित देश भारत है। दुनिया को एक स्पष्ट संदेश देना चाहिए, अगर आप आतंकवाद के खिलाफ हैं तो पाकिस्तान के खिलाफ भी बोलें। अगर आप पाकिस्तान के खिलाफ नहीं बोल सकते तो फिर आतंकवाद के खिलाफ बोलने का अधिकार नहीं है।