कोर्ट तथा कोर्ट से बाहर अपनी बेकाकी के लिए चर्चित सीजेआई धनंजय चंद्रचूड़ ने भारतीय न्यायपालिका के 50वें प्रमुख के रूप में शुक्रवार को अपने अंतिम कार्य दिवस पर कहा कि जरूरतमंदों और उन लोगों की सेवा करने से बड़ा कोई एहसास नहीं है, जिन्हें वह नहीं जानते थे या जिनसे कभी नहीं मिले थे।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने चार न्यायाधीशों की रस्मी पीठ की अध्यक्षता की। इस पीठ में मनोनीत चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जमशेद पारदीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल थे। यह पीठ सीजेआई चंद्रचूड़ को विदाई देने के लिए बैठी थी।
बाद में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समोराह में सीजेआई ने कहा कि उन्होंने अपनी निजी जिंदगी जनता के सामने रखा और इस कारण उन्हें कड़ी आलोचना का शिकार होना पड़ा। सोशल मीडिया पर उन्हें सबसे ज्यादा ट्रोल किया गया। हल्के-फुल्के अंदाज में उन्होंने कहा कि उन्हें ट्रोल करने वाले सोमवार से बेरोजगार हो जाएंगें। सीजेआई ने न केवल अपने कार्य बल्कि देश की सेवा करने का मौका मिलने के लिए भी संतुष्टि व्यक्त की।
जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता वाईवी चंद्रचूड़ लंबे समय तक (1978 से 1985) सीजेआई रहे थे। जस्टिस चंद्रचूड़ नौ नवम्बर, 2022 को सीजेआई नियुक्त किए गए थे। वह 10 नवम्बर (रविवार) को पदमुक्त हो जाएंगे।
भारत के न्यायिक इतिहास के इस महत्वपूर्ण मौके पर मनोनीत सीजेआई संजीव खन्ना और अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने जस्टिस चंद्रचूड़ के योगदान की सराहना की। जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस मौके पर कहा कि आपने मुझसे पूछा कि मुझे कौन सी बात आगे बढ़ाती है।
यह अदालत ही है जिसने मुझे आगे बढ़ाया है, क्योंकि ऐसा एक भी दिन नहीं है जब आपको यह लगा कि आपने कुछ नहीं सीखा है या आपको समाज की सेवा करने का मौका नहीं मिला है। भावुक सीजेआई ने कहा कि जरूरतमंदों और उन लोगों की सेवा करने से बड़ा कोई एहसास नहीं है, जिनसे आप कभी नहीं मिल पाएंगे, जिन्हें आप संभवत: जानते भी नहीं हैं।
अपने संबोधन में सीजेआई चंद्रचूड़ ने एक युवा विधि छात्र के रूप में कोर्ट की अंतिम पंक्ति में बैठने से लेकर शीर्ष न्यायालय के गलियारों तक के अपने सफर के बारे में बताया। सीजेआई ने कहा कि मैं हमेशा इस अदालत के महान लोगों की प्रभावशाली मौजूदगी और इस पद पर बैठने के साथ आने वाली जिम्मेदारी से अवगत था। लेकिन दिन के अंत में, यह किसी व्यक्ति के बारे में नहीं है, यह संस्था और न्याय के उद्देश्य के बारे में है जिसे हम यहां बनाए रखते हैं।