मुजफ्फरनगर में शिया सोगवारों ने सीनाजनी करते हुए इमाम हुसैन का गम मनाया। जुलूस निकालकर शिया सोगवारों ने मातम और नोहाख्वानी (शोक गीत) की। शहर के कई रास्तों से होता हुआ जुलूस सादात हास्टल पहुंचा। इससे पहले नदीवाला प्रेमपुरी इमामबारगाह में मजलिस (शोक सभा) हुई। इसमें करबला के बलिदानियों को खिराज ए अकीदत (श्रद्धांजलि) पेश की गई।
इमाम हुसैन की याद में जंजीरों का मातम कर सोगवारों ने अपने आप को लहूलुहान कर लिया। गुरुवार को हजरत इमाम हुसैन के बलिदान की याद में मजलिस ए चेहल्लुम आयोजित की गई। मजलिस 2 बजे प्रेमपुरी इमामबारगाह में शुरू हुई। इसकी शुरुआत मो. मशहेदी की सोजख्वानी से हुई। मजलिस को मौलाना गुलाम मोहम्मद मेहंदी खान ने संबोधित किया। इसमें उन्होंने नवासाए रसूल हजरत इमाम हुसैन की करबला के मैदान में दी गई बेशुमार कुर्बानियों का जिक्र किया।
मौलाना ने फरमाया कि हजरत इमाम हुसैन और उनके जां नशीनों ने करबला में बेशुमार कुर्बानियां पेश कर अपने नाना के दीन को बचा लिया, जिसके बाद जुलूस निकला। इसमें शिया सोगवारों ने करबला के बलिदानियों को श्रद्धांजलि देते हुए आगे बढ़े। जुलूस खालापार टंकी चौक से होता हुआ मीनाक्षी चौक और वहां से आर्य समाज रोड होता हुआ सादात हास्टल पर जाकर समाप्त हुआ। शिया सोगवार जुलजुना (घोड़ा इमाम) की जियारत कर जार-जार रोए।
जुलूस का संचालन जख्मी मुजफ्फरनगरी ने किया। जुलूस में शहर की सभी मातमी अंजुमन ने नौहाख्वानी और सीनाजनी की। इनमें हसीन हैदर, मुनव्वर अली, सोनू, मोहम्मद जमा, शाह आलम, असकरी, काशिफ, लारेब व शबी हैदर, जामिन आरफी, शाहजम, जफर आरफी, अफसर ने नोहाख्वानी की। नसीम हैदर एड., कमर हसनैन, मोहम्मद फैज, वली हसनैन, शादाब जैदी, अली हसनैन, मोहम्मद आसिफ आदि शामिल रहे। सादात हास्टल पहुंचकर ताजिये सुपुर्द ए खाक किये गए। इस बार काली नदी में पानी का स्तर अधिक होने के कारण जुलूस का रास्ता परिवर्तित किया गया था। चेहल्लुम का जुलूस परंपरागत रास्तों पर आगे न बढ़कर मीनाक्षी चौक होते हुए सादात हॉस्टल पहुंचा।