मुजफ्फरनगर। रामपुर तिराहा कांड में साक्ष्य के लिए तत्कालीन गृह सचिव डॉ. दीप्ति विलास अदालत में हाजिर हुए। उन्होंने ही अभियोजन को मुकदमे चलाने की अनुमति प्रदान की थी। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने अगली सुनवाई के लिए 29 सितंबर की तिथि तय की है। सीबीआई के विवेचक को साक्ष्य के लिए समन भेजे गए हैं।
शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह, उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा और रजनीश चौहान ने बताया कि सरकार बनाम मिलाप सिंह और राधा मोहन की पत्रावलियों की सुनवाई हुई। अभियोजन को मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाले तत्कालीन गृह सचिव डॉ. दीप्ति विलास को साक्ष्य के लिए अदालत में हाजिर हुए। बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र शर्मा ने जिरह की। उधर, कचहरी परिसर में पुलिस का कड़ा पहरा रहा।
एक अक्तूबर 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। सीबीआई ने मामले की जांच की और पुलिस पार्टी और अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज कराए थे।