पशुओं में फैलने वाली लंपी बीमारी को लेकर मुजफ्फरनगर में पशुपालन विभाग एक बार फिर अलर्ट मोड पर आ गया है। विकास भवन में स्थित पशुपालन विभाग के कार्यालय में कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। बीमारी की रोकथाम के लिए शासन से निर्देश जारी हुए हैं। बीते वर्ष लंपी बीमारी से बड़ी संख्या में गोवंश की मौत हुई थी।
बीमारी की रोकथाम के लिए चार लाख 22 हजार पशुओं को टीके लगाए गए थे। जिसके चलते संक्रमण पर काबू पाया गया था। अब शासन से लंपी संक्रमण को लेकर एडवाइजरी जारी हुई है। जिसके चलते मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी चंद्रवीर सिंह ने समिति गठित की है। जिसमें सभी ब्लॉक के चिकित्सकों को शामिल किया गया है। पशु चिकित्सक गांव और ब्लॉक में गोष्ठी आयोजित करेंगे। जिसमें पशुपालकों को लंपी बीमारी की रोकथाम के लिए जागरूक किया जाएगा।
वहीं संक्रमण की आशंका को देखते हुए सभी पशु मेले और पशु प्रदर्शन प्रतियोगिता निरस्त कर दी गई है। बिना अनुमति के इस प्रकार के आयोजन करने वालों पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि लंपी एक प्रकार की संक्रामक बीमारी है। यह एक पशु से दूसरे में तेजी से फैलती है। मुख्यतः मक्खी और मच्छर के काटने से यह बीमारी जन्म लेती है। इसमें पशु के शरीर पर गांठे बन जाती हैं। घातक स्थिति में गठन में मवाद पड़ जाती है। पशु के शरीर का तापमान बढ़ जाता है। दुधारू पशु दूध देना कम कर देते हैं। उन्होंने बताया पशुपालक पशुओं को सफाई वाले स्थान पर रखें।
मक्खी, मच्छर के प्रकोप से बचाना बेहद जरूरी है। प्रतिदिन पशुओं को नहलाएं और पशु बांधने वाले स्थान पर मक्खी, मच्छर मारने वाला कीटनाशक का छिड़काव करें। पशुओं के बीमारी से पीड़ित होने पर दूसरे पशुओं को संक्रमित पशु से अलग कर दें। साथ ही नजदीक के पशु चिकित्सा से संपर्क कर उपचार शुरू करें। उन्होंने बताया विकास भवन में बीमारी की सूचना व्यवस्था के उपाय के लिए कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है।