उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक मां ने युवक के खिलाफ बहला-फुसलाकर अपहरण और दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन बेटी ने उसी के साथ घर बसा लिया। इस दौरान उसके तीन संतानें भी हुईं। पॉक्सो ऐक्ट कोर्ट ने 10 साल पुराने मामले की सुनवाई करते हुए आरोपित को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। अभियोजन के अनुसार थाना ककरौली क्षेत्र निवासी एक किशोरी का अपहरण कर दुष्कर्म किया गया था। इस मामले में पीड़िता की मां की ओर से तीन जून 2013 को मुकदमा दर्ज कराया गया था।
आरोप था कि नफीस उर्फ नंबरदार पुत्र बाबू उर्फ कालू निवासी गांव ककरौली एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर उसकी नाबालिग पुत्री का अपहरण कर ले गया था, जिसके बाद उसने उसके साथ दुष्कर्म किया था। पुलिस ने इस मामले में आरोपित को दबोचकर पीड़िता को कब्जे में ले लिया लिया था। कोर्ट के आदेश पर आरोपित जेल भेज दिया गया था, जबकि पीड़िता को उसकी मां को सौंप दिया गया था लेकिन कुछ दिन बाद ही आरोपित पीड़िता को लेकर फरार हो गया।
पुराने मामले में पुलिस ने विवेचना पूर्ण कर आरोपित के विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। घटना के मुकदमे की सुनवाई पॉक्सो ऐक्ट कोर्ट के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजनी कुमार ने की। बताया कि कोर्ट ने दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद आरोपित को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
कोर्ट में पेश होकर पीड़िता ने आरोपित के पक्ष में बयान दिया था। कहा था कि घटना के समय वह बालिग थी और उसने नफीस से निकाह किया था। जिससे उसे तीन बच्चे हैं। दोनों सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रहे हैं।