मुजफ्फरनगर में दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराकर बयान से मुकरने वाली पीड़िता की मां पर कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी किया है। साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित मदरसा मौलवी को बरी कर दिया। इस मामले में पीड़िता भी अपने बयान से मुकर गई थी।

अभियोजन के अनुसार, चार वर्ष पहले दुष्कर्म के आरोप में पुलिस ने एक मदरसा मौलवी को दबोचकर उसका चालान कर दिया था। 16 वर्षीय किशोरी की मां ने मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया था कि उसकी पुत्री पड़ोस के मदरसे में दीनी तालीम हासिल करने जाती है। मदरसा मौलवी कारी जकरिया पुत्र हाफिज मुस्तफा घर पर पढ़ाने भी आता था।

आरोप था कि कारी जकरिया 4 मार्च 2020 को उसके घर आया और बताया कि उसने उसकी नाबालिग बेटी से निकाह कर लिया। जब उसने इस बात का विरोध किया तो जकरिया ने घर से बाहर निकलकर जहर खा लिया था। जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

पीड़िता की मां ने बताया था कि उसके बाद उसकी बेटी ने रो रोकर बताया था कि कारी जकरिया उसे पढ़ाने के नाम पर उसके साथ दुष्कर्म करता था। जिसके बाद पुलिस ने कारी जकरिया पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया था।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता मन्नान बालियान ने बताया कि घटना के मुकदमे की सुनवाई पॉक्सो एक्ट कोर्ट में अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश बाबूराम ने की। कोर्ट में सुनवाई के दौरान वादी मुकदमा अपने बयान से पलट गई। जिसके बाद आरोपित कारी जकरिया को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव बरी कर दिया। बयान से मुकरने पर पीड़िता की मां और वादी मुकदमा को पक्षद्रोही घोषित करते हुए कोर्ट ने उसके विरुद्ध वाद दायर करने का आदेश दिया।

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