प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेताओं ने शासन के मुद्दों पर लगातार दूसरे दिन रविवार को भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श किया। इस दौरान मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में जारी विभिन्न विकास योजनाओं पर प्रस्तुतियां दीं। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह और जे पी नड्डा ने बैठक में हिस्सा लिया। नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।
पीएम मोदी ने बैठक में गुड गवर्नेंस पर जोर देते हुए राज्यों से एक-दूसरे की बेहतरीन प्रथाओं को अपनाने की अपील की। उन्होंने केंद्र सरकार की सभी योजनाओं के 100 प्रतिशत सैचुरेशन को हासिल करने के लिए मिशन मोड में काम करने की बात की। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों, खासकर गरीबों की मदद के लिए भाजपा शासित राज्यों की सरकारों के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने शनिवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था, ‘‘हमारी पार्टी सुशासन को आगे बढ़ाने और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अथक प्रयास कर रही है।” इस बैठक में एनडीए शासित कुल 16 राज्यों के 13 मुख्यमंत्री और 15 डिप्टी सीएम शामिल हुए।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्री ने अपनी उपलब्धियों का ब्योरा प्रस्तुत किया। पार्टी की ओर से उन्हें एक फॉर्मेट प्रदान किया गया था, जिसमें अपने कार्यकाल की उपलब्धियां और लागू न की गई योजनाओं का विवरण देने को कहा गया था। साथ ही भाजपा द्वारा नियमित अंतराल पर आयोजित ‘मुख्यमंत्री परिषद’ का उद्देश्य राज्यों में प्रमुख योजनाओं की समीक्षा करना, शासन के सर्वोत्तम तौर-तरीकों और केंद्र सरकार की कल्याणकारी पहल को लागू करना है। इस बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू, गोवा के सीएम प्रमोद सावंत, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुए।
इसके अलावा, बैठक में ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी भी मौजूद थे। आपको बता दें कि यह बैठक, 23 जुलाई को संसद में केंद्रीय बजट पेश किए जाने के बाद हो रही है। विपक्ष ने बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष तवज्जो दिये जाने और अन्य राज्यों की अनदेखी करने के लिए केंद्र की आलोचना की है। लोकसभा चुनाव के बाद यह पहली बैठक है। हालिया आम चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और पार्टी संसद के निचले सदन में अपने बूते बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं कर सकी। हालांकि, पार्टी नेताओं ने कहा कि बैठक में शासन के मुद्दे चर्चा के केंद्र में हैं। इस तरह की पिछली बैठक फरवरी में हुई थी।