अयोध्या के सपा विधायक अभय सिंह के साले संदीप सिंह के नगालैंड से बने फर्जी लाइसेंस की पड़ताल में एसटीएफ को कई और सुराग मिले हैं। इसी आधार पर एसटीएफ का दावा है कि बाहुबली मुख्तार गिरोह से जुड़े कई लोगों ने नगालैंड से शस्त्र लाइसेंस बनवाये हैं। लखनऊ में इस समय नगालैंड से बने 14 लाइसेंस हैं जो वर्ष 2016 से पहले स्थानान्तरित कराये गये थे। एसटीएफ इन लाइसेंस के बारे में भी पड़ताल कर रही है। उधर संदीप के बयान से रडार पर आये तीन लोगों के बारे में एसटीएफ ने कई जानकारियां जुटायी हैं।

एसटीएफ ने 26 मई को जौनपुर निवासी संदीप सिंह उर्फ पप्पू को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। वह अपने नगालैंड से जारी शस्त्रत्त् लाइसेंस और बरामद रायफल व पिस्टल के बारे में दस्तावेज नहीं दिखा सका था। इस पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके एक लाइसेसं ने कलेक्ट्रेट के शस्त्रत्त् अनुभाग में चल रहे रैकेट का भी पर्दाफाश कर दिया। उसने एसटीएफ को यह भी बताया कि किसे कितने रुपये देकर उसने अपना यह लाइसेंस यहां स्थानान्तरित करवाया था।

संदीप का लाइसेंस मुख्तार के पते 107 बी दारुलशफा पर स्थानान्तरित किया गया और जारी लाइसेंस बुकलेट में इसे छिपाते हुये उसके लखनऊ के मूल आवास कालिन्दी अपार्टमेंट का पता दिखाया गया। यहां लाइसेसं क्रमांक के साथ थाना हजरतगंज लिखा था जबकि कालिन्दी अपार्टमेंट विभूतिखंड कोतवाली क्षेत्र में आता है। एसटीएफ ने दूसरे दिन जब इस बिन्दु पर पड़ताल की तो हड़कम्प मच गया। सोमवार को शस्त्रत्त् अनुभाग में इसको लेकर काफी हलचल रही। कई असलहों के दस्तावेज खंगाले जाते रहे। प्रशासनिक अफसर भी जानकारी लेते रहे।

मुख्तार से जुड़े तीन लोगों का पता लगा रही एसटीएफ एसटीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि संदीप से रुपये लेकर उसका शस्त्रत्त् लाइसेसं यहां चढ़वाने वाले के बारे में सुराग मिल गये हैं। सम्पर्क वाले कर्मचारी को भी एसटीएफ ने रडार पर ले लिया है। अब यह पता किया जा रहा है कि मुख्तार गिरोह से जुड़े वह तीन लोग कौन है जिनका यहां हस्तक्षेप रहता है। इनकी शह पर ही कई साल पहले वजीरगंज में महिलाओं के नाम कई शस्त्रत्त् लाइसेंस बन गये थे। इन महिलाओं के पति के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे दर्ज थे।

एसटीएफ ने हजरतगंज कोतवाली और दारुलशफा में वर्ष 2004 में तैनात इंस्पेक्टर, चौकी प्रभारी व दीवान का ब्योरा कमिश्नरेट पुलिस से मांगा है। नगालैंड में संदीप सिंह का लाइसेंस वर्ष 2003 में बना दिखाया गया है। यहां वर्ष 2004 में स्थानान्तरित किया गया। उस समय इसकी जांच के दौरान तत्कालीन एएसपी, सीओ, इंस्पेक्टर और चौकी प्रभारी की आख्या लगी होगी। दारुलशफा चौकी पर तैनात रहे सब इंस्पेक्टर ने क्या बिना पड़ताल किये ही मुख्तार के पते पर उसके शस्त्रत्त् लाइसेंस को स्थानान्तरित करने की संस्तुति कर दी थी। ऐसे ही कई बिन्दु पर एसटीएफ पड़ताल कर रही है।

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