नोएडा प्राधिकरण में मुआवजा वितरण में हुए कथित फर्जीवाड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश के बाद स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने जांच शुरू कर दी है। सोमवार को दोपहर करीब डेढ़ बजे एसआईटी के अध्यक्ष बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के चेयरमैन हेमंत राव, एडीजी मेरठ राजीव सभरवाल और मेरठ मंडल की कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे. प्राधिकरण पहुंची।
गार्ड ऑफ आर्नर के बाद टीम प्राधिकरण के बोर्ड रूम गई, वहां फाइलों को खंगालने का काम शुरू किया। शनिवार को पहले ही 2010 से अब तक की जमीन अधिग्रहण से संबंधित फाइलों को मंगाया गया। जिनकी जांच की जा रही है। इसके बाद मुआवजा से संबंधित फाइलों को निकाला जाएगा।
इस दौरान बोर्ड रूम में सीईओ, एसीईओ और वित्त विभाग और लैंड विभाग के अधिकारी मौजूद रहे। इससे पहले भी नोएडा प्राधिकरण में एसआईटी ने चार दिन तक नोएडा प्राधिकरण में रहकर मामले की जांच की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 15 साल के मुआवजा वितरण और जमीन अधिग्रहण की जांच करने को कहा है। एसआईटी को अपनी रिपोर्ट चार सप्ताह में कोर्ट में देनी है। जांच विस्तार से होती है तो इसमें प्राधिकरण के भूलेख, वित्त से लेकर आला अधिकारियों के फंसने की नौबत आ सकती है।
इस साल सितंबर में प्रदेश सरकार ने गेझा मुआवजा से संबंधित प्रकरण में तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की थी। दरअसल, पूर्व के शासन में अतिरिक्त मुआवजे का खेल किया गया। करीब 100 करोड़ अतिरिक्त मुआवजा प्राधिकरण अधिकारियों ने किसानों के साथ मिलकर बांटा और आर्थिक लाभ कमाया।
ये मामला 2015 के आसपास का है। जांच का दायरा अब बड़ा होगा। 30 मार्च 2002 से लेकर अब तक एसआईटी को मुआवजा और जमीन अधिग्रहण से जुड़े करीब 12 हजार से ज्यादा फाइलों की जांच करनी होगी। फिलहाल अभी 2010 की फाइलों को मंगाया गया है।