म्यूजिक डायरेक्टर एआर रहमान ने कहा है कि भारत सांस्कृतिक रूप से इतना समृद्ध देश है कि यह ध्वनि, शब्द, विचार के माध्यम से सभी को एक साथ लाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है।
संगीत के जादूगर ए.आर. रहमान ने भारत में संगीतकारों को मिल रहे अवसरों को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि भारत ने उन संगीतकारों को आगे लाने का एक शानदार अवसर प्रदान किया है, जिन्हें पहले कभी मौका नहीं मिला।”
ऑस्कर और ग्रैमी विजेता संगीत निर्देशक ने मुंबई में नेक्सा म्यूजिक के तीसरे सीजन का शुभारंभ किया। इस मौके पर ए.आर. रहमान ने कहा कि मानव मस्तिष्क की शक्ति हमारी कल्पना से कहीं अधिक है और सशक्तीकरण के जरिए कुछ भी पाया जा सकता है।
नेक्सा म्यूजिक के तीसरे सीजन के लॉन्च पर प्रसिद्ध गायक राजा कुमारी, किंग, अर्जुन कानूनगो और मामे खान भी शामिल हुए।
देश में क्षेत्रीय संगीत को मिले प्रोत्साहन पर बात करते हुए भारत के म्यूजिक माएस्ट्रो ए.आर. रहमान ने कहा, ”इंसान का दिमाग सशक्तीकरण के साथ काम करता है और मुझे लगता है कि अगर मन सशक्त हो तो कुछ भी किया जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि कोई भी गाना बनाते समय आपको यह अहसास होना चाहिए कि जिसे मैं बनाने जा रहा हूं यह सबसे अच्छा गाना है, और सभी लोग इसे पसंद करेंगे।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए संगीतकार ने कहा कि हर भाषा महत्वपूर्ण है। किसी की किस्मत कभी भी चमक सकती है। किसी भी कलाकार को कभी भी कम नहीं आंकना चाहिए।
मीडिया द्वारा पूछे जाने पर कि सीजन 3 से क्या उम्मीद की जाए, इस पर रहमान ने कहा कि मैं माइकल जैक्सन के पसंदीदा शब्द वंडरमेंट का इस्तेमाल करना चाहूंगा। लोगों को सीजन 3 से ‘वंडरमेंट’ की उम्मीद करनी चाहिए। सभी प्रतियोगी एक साथ कुछ नया लेकर आएंगे और चमकेंगे।
संगीतकार ने 1991 में अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु किया। उन्होंने 1992 में फिल्म रोजा में अपने संगीत का जादू दिखाया। इस फिल्म के संगीत ने दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। इस म्यूजिकल हिट के लिए रहमान को फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला। संगीतकार ने दिल से, रंगीला, ताल, पुकार, फिजा, लगान, मंगल पांडे, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, जाने तू या जाने ना, तहजीब, बॉम्बे, युवराज, स्लम डॉग मिलेनियर और गजनी जैसी फिल्मों में अपना संगीत दिया है।
एआर रहमान ने देश की आजादी के 50 साल पूरे होने पर 1997 में “वंदे मातरम्” एलबम बनाया। जिसे लोगों का भरपूर प्यार मिला।