इबादत का महीना रमज़ान हर मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए खास होता है। रमज़ान के पाक महीने की शुरुआत होने में बेहद कम समय का वक्त रह गया है। अगर 11 मार्च की शाम चांद दिखाई दिया तो रमज़ान 12 मार्च से शुरू होगा और अगर 12 मार्च की शाम चांद दिखाई दिया तो रमज़ान 13 मार्च से शुरू होगा। रमज़ान के ठीक एक महीने के बाद ईद मनाई जाती है। मुसलमानों  के  इस पाक और मुबारक महीने में हर मुसलमान अल्लाह को याद करता है और दिन भर बिना कुछ खाए  पिए रहता है। ऐसे में प्रयागराज के बाज़ार सज गए हैं और लोग रमजान की खरीददारी में लगे हुए हैं।

बता दें रमज़ान के पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग 30 दिनों तक व्रत रखते हैं और ठीक एक महीने बाद ईद का त्योहार मनाते हैं। रमज़ान के दौरान लोग सुबह तकरीबन 4:00 बजे सहरी में उठकर के भोजन ग्रहण करते हैं जिसके बाद दिनभर व्रत रख के शाम को सूरज ढलते समय इफ्तार में खजूर खाकर के व्रत तोड़ते हैं। इसी कड़ी में रमजान को लेकर खरीददारों की भीड़ से प्रयागराज के बाज़ार गुलजार है। कोई खजूर खरीद रहा है तो कोई सूतफेनी। किसी को टोपी खरीदनी है तो किसी को सहरी और इफ्तार के सामान। खुदा की इबादत में कोई कोर- कसर न रह जाए, इसके लिए धार्मिक किताबों, जानमाज़ और तसबीह भी ली जा रही है। हर बार की तरह इस बार भी ईरान से आए खजूर की ज्यादा डिमांड है।  रोजदारों को इस बार पंद्रह घंटो से ज्यादा का रोज़ा रखना होगा यानी सुबह करीब पौने चार बजे से लेकर शाम सात बजे के बाद तक पानी की एक बूँद लेने पर भी मनाही होगी।

मान्यता है कि जितनी ज्यादा देर तक  रोज़ा रखना पड़ेगा, उन्हें इबादत करने और सबाब हासिल करने का उतना ही ज्यादा मौका मिलेगा। खरीदारी करने आए स्थानीय मंज़र उस्मानी का कहना है कि रमज़ान के पाक महीने का बेसब्री से इंतजार है। हालाकि इस बार महंगाई ज्यादा है और हर समान महंगे दामों पर बिक रहे हैं ऐसे में वह सरकार से अपील कर रहे हैं कि महंगाई में कमी करे। इस्लामी कैलेण्डर के बारह महीनो में रमजान को सबसे पाक (पवित्र) और मुक़द्दस (इबादत के लिए महत्वपूर्ण ) महीना माना जाता है।. कहा जाता है कि रमजान के महीने में तीस रोज़े रखकर अल्लाह की इबादत करने वालों के सारे गुनाह माफ़ हो जाते हैं और ज़िंदगी ख़त्म होने पर उन्हें जन्नत में जगह दी जाती है। रमजान के महीने में की गई इबादत का फल आम दिनों से सत्तर गुना ज्यादा हासिल होता है।  इस महीने में अल्लाह अपने बंदो की इबादत से खुश होकर उन पर रहमतों की बारिश करते हैं।रमजान के महीने  में पूरे तीस दिनों तक सुबह की अज़ान होने के वक्त से लेकर सूरज डूबने के बाद होने वाली मगरब की अजान तक खाना- पानी छोड़कर रोज़ा रखना पड़ता है।इस दौरान लोगों को रोजाना पांच वक्त की नमाज़ अता करनी होती है तो साथ ही गुनाहों और बुराइयों से दूर रहते हुए अपना पूरा इबादत में बिताना पड़ता है।तीस दिन रोज़े रखकर इबादत करने वाले को ही ईद की खुशियाँ मनाने का मौका मिलता है।

 

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