बसपा सुप्रीमो मायावती लोकसभा चुनाव-2024 को फतेह करने के लिए नए फार्मूले पर काम कर रही हैं। पिछले सारे फार्मूलों से हटकर नए सिरे से समीकरण बैठाने में जुटी गई हैं। लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को तय करने की प्रक्रिया बदल दी गई है। इस बार सीटों पर आबादी के हिसाब से उम्मीदवारी तय करने की दिशा में काम चल रहा है यानी जिसकी जितनी आबादी उसको उसी के हिसाब से चुनावी मैदान में उतार कर टिकट दिए जाएंगे।

बसपा सुप्रीमो ने मंडल प्रभारियों को अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने का निर्देश दिया है। संगठन को मजबूत करने के साथ ही यूथ को जोड़ने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही उम्मीदवारों का पैनल तैयार करने को कहा गया है। मंडल प्रभारियों से कहा गया है कि पहले सीटों का सर्वे कराया जाए। पिछले कुछ चुनावों के ट्रेंड को देखा जाए। इसमें यह देखा जाए कि जातीय वोटों का रुझान क्या रहा है। इसके आधार पर उम्मीदवारों का पैनल बनाते हुए भेजा जाए। उदाहरण के लिए जिस सीट पर जिस बिरादरी का वोट सर्वाधिक होगा, वहां से उसी वर्ग के उम्मीदवार को उतारने पर काम किया जाए।

बसपा सूत्रों का कहना है कि इस बार आरक्षित सीटों पर गैर जिलों के उम्मीदवारों को न उतारने पर भी मंथन चल रहा है। यह तय किया गया है कि सुरक्षित क्षेत्र के रहने वाले पार्टी के पुराने नेताओं को टिकट देने में महत्व दिया जाएगा, जिससे क्षेत्र में उनकी पकड़ और बिरादरी के वोटों के सहारे जीत की राह आसान हो सके।

इसके साथ ही बसपा से नाराज होकर बाहर जाने वालों को भी पार्टी से जोड़ने का काम किया जाएगा। दूसरी पार्टियों में जो चले गए हैं उनकी बात अलग है, लेकिन बसपा से निकाले जाने या फिर स्वयं अलग होने वालों को पार्टी से जोड़ने का काम किया जाएगा। संगठन विस्तार करते समय इनके अनुभवों का लाभ भी लिया जाएगा, जिससे क्षेत्र में नए सिरे से कॉडर खड़ा हो सके। इसके साथ ही केवल टाइम पास करने वाले या फिर बैनर के सहारे अपनी दुकान चलाने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।

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