एक्सप्रेस ने लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के गठन से लेकर इसके दिवालिया होने तक के 12 वर्षों की घटनाओं और 2023 में इसके कागजातों की फॉरेंसिक ऑडिट तक के कागजातों को खंगालकर ये खुलासा किया है। उसके मुताबिक, इस कंपनी की स्थापना 2010 में हुई थी, जब मायावती ने प्रचंड जीत दर्जकर 2007 में राज्य की बागडोर संभाली थी।

अपने गठन के दो महीने से भी कम समय में यानी जुलाई 2010 में लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने मुख्यमंत्री के भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्र लता के साथ नोएडा के ब्लॉसम ग्रीन्स प्रोजेक्ट में क्रमश: 2,300 रुपये प्रति वर्ग फुट और 2,350 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से लगभग 2 लाख वर्ग फीट जगह बेचने का एक एग्रीमेंट किया था। इस हिसाब से आनंद कुमार के लिए कुल खरीद मूल्य 46.02 करोड़ रुपये और विचित्र लता के लिए 46.93 करोड़ रुपये था।

इन एग्रीमेंट के तीन महीने के भीतर, यानी सितंबर 2010 में यूपी सरकार के तहत आने वाले नोएडा प्राधिकरण ने लॉजिक्स इंफ्राटेक को ब्लॉसम ग्रीन्स में 22 टावर डेवलप करने के लिए 1,00,112.19 वर्ग मीटर या 24.74 एकड़ जमीन लीज पर दी। सितंबर 2010 से 2022-23 के कालखंड में, कंपनी ने ब्लॉसम ग्रीन्स में कुल 2,538 आवासीय इकाइयों में से 2,329 इकाइयां बेचीं। अब तक, कंपनी ने 944 फ्लैटों वाले आठ टावरों में खरीदारों को कब्जे की पेशकश की है, जिनमें से 848 खरीदारों ने अपने-अपने फ्लैट का कब्जा हासिल कर लिया है। शेष 14 टावरों का सिविल स्ट्रक्चर तो पूरा हो चुका है, लेकिन खरीदारों को अभी भी कब्जा मिलने का इंतजार है।

कंपनी ने आनंद कुमार और विचित्र लता द्वारा क्रमशः 28.24 करोड़ रुपये और 28.19 करोड़ रुपये का “अग्रिम” भुगतान करने के बाद उन्हें  4 अप्रैल, 2016 को क्रमश: 135 और 126 कुल 261 फ्लैट्स आवंटित कर दिए थे।

करीब चार साल बाद 15 फरवरी, 2020 को कन्स्ट्रक्शन कंपनी अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड ने लॉजिक्स इंफ्राटेक को 7.72 करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान करने का नोटिस भेजा। लॉजिक्स इंफ्राटेक ने अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स को 259.80 करोड़ रुपये में  ब्लॉसम ग्रीन्स के कन्स्ट्रक्शन और डेवलपमेंट का ठेका दिया था। इसके जवाब में अक्टूबर 2020 में लॉजिक्स इन्फ्राटेक ने कोविड-19 के कारण 2019 के अंत से ही दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्यों पर लगे प्रतिबंध और कुशल श्रम की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स के बकाये का भुगतान करने में असमर्थता जताई।

इसके बाद यह मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) पहुंचा, जहां 29 सितंबर, 2022 को बकाया वसूली के लिए लॉजिक्स इन्फ्राटेक के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया गया। NCLT ने नियमानुसार दिवालिया प्रक्रिया के लिए एक अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया, जिसने लॉजिक्स के खातों की ऑडिट का आदेश दिया। मई 2023 में IRP में जमा किए गए इस फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के भाई आनंद कुमार और भाभी विचित्र लता दोनों को बेची गई इकाइयाँ “अंडरवैल्यूड” थीं और उनके लेनदेन में भी “धोखाधड़ी” हुई थीं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिट में कथित तौर पर कई अनियमितताएं उजागर हुई हैं। आनंद कुमार और उनकी पत्नी ने दिवालिया कार्यवाही के तहत लॉजिक्स इन्फ्राटेक से 96.64 करोड़ रुपये की राशि का दावा किया है। इतना ही नहीं, आनंद कुमार को 2300 रुपये प्रति वर्ग फुट पर जो फ्लैट कंपनी ने आवंटित किए गए थे, उसे 2016-17 में खरीदारों को औसत 4350.85 रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से बेचे गए। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी एक्ट 2016 की धारा 45 के तहत लेनदेन का सही मूल्यांकन नहीं किया गया है।

ऑडिट रिपोर्ट में आनंद कुमार और कंपनी के बीच हुई लेन-देन पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आनंद कुमार के 28.24 करोड़ रुपये के भुगतान दिखाने वाले वाउचर निवेश के बजाय “ग्राहकों से अग्रिम” शीर्षक के तहत दिखाए गए हैं। हालांकि, इसके लिए जो बैंक रसीदें और बैंक विवरण हैं, वह सिर्फ 27.60 करोड़ रुपये की प्राप्ति ही दिखाते हैं। अखबार ने लिखा है कि जो फंड प्राप्त हुए उसे संबंधित पक्ष को फिर से ट्रांसफर कर दिए गए थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आनंद कुमार की पत्नी विचित्र लता के खिलाफ भी अनियमितताओं के लगभग इसी तरह के आरोप हैं। उन्हें भी कम कीमत पर फ्लैट आवंटित किए गए। इसके अलावा उनकी 125 इकाइयों में से 24 दूसरों को आवंटित की गईं और 28.85 करोड़ रुपये के भुगतान को लॉजिक्स द्वारा संबंधित पार्टियों को बिना स्पष्टीकरण के स्थानांतरित किया गया।  रिपोर्ट में  28.85 करोड़ के लेनदेन को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

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