देश और दुनिया भर में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। यह एक गंभीर बीमारी है जिसमें स्तन की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। चिंता की बात यह है कि शुरुआती दौर में इसमें दर्द नहीं होता जिससे अक्सर महिलाएं इसके लक्षणों को पहचान नहीं पातीं और बीमारी जानलेवा बन जाती है। इसलिए इसके शुरुआती लक्षणों को समझना और उन पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है ताकि समय रहते इसका पता लगाया जा सके और इलाज शुरू हो सके।
अक्सर ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण महसूस ज़्यादा होते हैं बजाय दिखाई देने के। इससे पहले कि यह बीमारी बेकाबू हो आइए जानते हैं इसके सामान्य से सामान्य लक्षणों को कैसे पहचानें:
ब्रेस्ट कैंसर के इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें
- स्तन के आकार में बदलाव: अगर आपके स्तन के आकार, आकृति या छूने पर कोई असामान्य बदलाव महसूस होता है तो यह ब्रेस्ट कैंसर का संभावित लक्षण हो सकता है। ऐसे किसी भी बदलाव के प्रति सचेत रहें और बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें।
- निप्पल से डिस्चार्ज (स्राव): अगर आप छोटे बच्चे की मां हैं और स्तनपान कराना बंद कर दिया है तो कुछ समय तक दूध का डिस्चार्ज होना सामान्य है। कई महिलाओं में स्तनपान बंद करने के दो से तीन साल बाद तक भी ऐसा देखा जाता है। हालांकि अगर आपको निप्पल से हल्का खून जैसा स्राव होता है तो यह खतरे की घंटी है। खून जैसे रंग का डिस्चार्ज ब्रेस्ट कैंसर की संभावना को बढ़ा सकता है।
- अंदर की तरफ मुड़े हुए निप्पल: निप्पल का जन्म से ही अंदर की ओर दबा हुआ होना कई महिलाओं में एक सामान्य समस्या है और अक्सर चिंता की बात नहीं होती लेकिन अगर आपके निप्पल बिना किसी स्पष्ट कारण के अचानक अंदर की ओर धंसने लगें तो यह कैंसर का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
- पपड़ीदार स्तन या निप्पल: निप्पल का पपड़ीदार या खुजलीदार होना ब्रेस्ट कैंसर का पहला संकेत हो सकता है। हालांकि खुजली, पपड़ी और दरारें एक्जिमा जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं के कारण भी हो सकती हैं लेकिन अगर ऐसा महसूस हो तो बिना देरी किए डॉक्टर से सलाह लेना सबसे सुरक्षित है।
- स्तन या निप्पल के पास सूजन और रंग बदलना: अगर आपके स्तन या निप्पल के आसपास सूजन है और वहां की त्वचा लाल या नीली नज़र आ रही है तो यह भी ब्रेस्ट कैंसर का एक लक्षण हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
ब्रेस्ट कैंसर का जितनी जल्दी पता चलता है उसके ठीक होने की संभावना उतनी ही अधिक होती है। इसलिए, इन लक्षणों के प्रति जागरूक रहें और किसी भी संदेह की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।