महाराष्ट्र में निकाय चुनाव से पहले सियासत गरमाई हुई है। आज सीएम देवेंद्र फडणवीस और मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बीच आज मुंबई की एक फाइव स्टार होटल में मीटिंग हुई। दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई, इसको लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है। फिलहाल बैठक को लेकर दोनों दलों की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। इस बैठक को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि क्योंकि कुछ दिन पहले ही ठाकरे परिवार ने साथ आने के संकेत दिए थे।
पहले सरकार फिर पार्टी से हुए बेदखल
मुंबई और महाराष्ट्र की राजनीति में कभी ठाकरे परिवार का ही शासन हुआ करता था। यूं कहे कि इस परिवार का अघोषित राज था लेकिन धीरे-धीरे यह परिवार अब महाराष्ट्र की राजनीति में हाशिए पर चला गया है। 2019 विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी से सीएम फेस पर सहमति नहीं बनने के बाद शिवसेना के उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और शरद पवार के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। इस सरकार में उद्धव ठाकरे ने सीएम का पद संभाला था। करीब 2 साल बाद एकनाथ शिंदे के इस्तीफे के बाद सरकार पलट गई। एकनाथ शिंदे की बगावत से न केवल सरकार गई बल्कि पार्टी भी उद्धव ठाकरे के हाथ से निकल गई।
लोकसभा के बाद विधानसभा में भी लगा झटका
चुनाव आयोग ने पार्टी के संविधान के आधार पर नाम और चुनाव चिन्ह शिंदे गुट को दे दिया। इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जरूर महाराष्ट्र में बड़ी बढ़त हासिल की लेकिन उद्धव ठाकरे शिंदे सेना से एक सीट अधिक नहीं जीत पाए। यानी दोनों पार्टियों ने बराबर सीटें जीतीं। जोकि उद्धव के लिए बड़ा झटका था। उन्हें उम्मीद थी कि वे सभी 18 सीटों पर फिर से विजयी होंगे। लोकसभा चुनाव के चंद महीनों बाद हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना यूबीटी मात्र 20 सीटों पर निपट गई। अधिकांश जगहों पर उसका मुकाबला शिंदे सेना के साथ था। ऐसे में उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र की सियासत में पिछले 20 सालों में पार्टी और जनता का विश्वास दोनों खोया है।
क्या साथ आएंगे ठाकरे बंधु
पिछले कुछ दिनों से यह कयास लगाए जा रहे थे कि राज ठाकरे एक बार फिर उद्धव ठाकरे के साथ जा सकते हैं। इसको लेकर लगातार पोस्टरबाजी हो रही थी। इसके बाद बीजेपी एक्टिव हुई और आज मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बाद बैठक की। इस बैठक के बाद अब ठाकरे क्या प्रतिक्रिया होती है तो यह आने वाला वक्त ही बताएगा। बीजेपी नहीं चाहती कि महाराष्ट्र में किसी भी कीमत पर दोनों भाई साथ आए। अगर ऐसा होता है तो यह बीजेपी के बड़ी समस्या पैदा कर सकता है। महाराष्ट्र में बीजेपी पहली बार अपने दम पर सरकार बनाते नजर आ रही है। हालांकि इस चुनाव में वह कुछ सीटों से पिछड़ गई थी।