13 जनवरी से शुरू हुए इस दिव्य और भव्य धार्मिक और सांस्कृतिक समागम ने इतिहास रच दिया है। यहां श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करके धार्मिक और सांस्कृतिक एकता की मिसाल प्रस्तुत की है।
इस महाकुंभ में 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इसे मानव इतिहास का सबसे बड़ा धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजन बना दिया है। इस विशाल समागम का आकार इस बात से समझा जा सकता है कि केवल भारत और चीन की जनसंख्या ही इस संख्या से अधिक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की योजनाओं और व्यवस्थाओं के कारण इस ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन ने भारत की प्राचीन धार्मिक परंपरा को विश्वभर में प्रसिद्धि दिलाई है।
प्रयागराज महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की संख्या 50 करोड़ पार होने पर जूना अखाड़े के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज जी ने माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ व सरकार को साधुवाद दिया है।
स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज जी (@AvdheshanandG) का कहना है कि… pic.twitter.com/GYQLMSTxzW— Mahakumbh (@MahaKumbh_2025) February 14, 2025
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या के संदर्भ में यह देखा जा सकता है कि अमेरिका, पाकिस्तान, रूस, बांग्लादेश, ब्राजील, इंडोनेशिया और नाइजीरिया जैसी देशों की जनसंख्या भी इस संख्या के मुकाबले बहुत कम है। इससे यह साबित होता है कि महाकुंभ केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह सनातन धर्म के विराट रूप का प्रतीक बन चुका है।
अब तक के स्नान पर्वों में सबसे अधिक 8 करोड़ श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया। इसके अलावा मकर संक्रांति पर 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने अमृत स्नान किया था। 1 फरवरी और 30 जनवरी को भी 2-2 करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान किया था। वहीं, बसंत पंचमी पर 2.57 करोड़ श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई थी, और माघी पूर्णिमा के दिन भी दो करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया।