मराठा आरक्षण का मुद्दा महाराष्ट्र सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मामला सुलझने की घोषणा की तो सत्तारुढ़ गठबंधन में ही बवाल हो गया। उधर अपने ही लोगों से घिरने के बाद आंदोलनकारी नेता मनोज जरांगे के भी सुर बदलने लगे हैं। जहां तक महाराष्ट्र के सत्तारुढ़ गठबंधन में उपजे अंतर्विरोध की बात है तो आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नारायण राणे ने राज्य सरकार के फैसले को गलत बताते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल दी है तो वहीं राज्य गठबंधन में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने भी इस फैसले के खिलाफ उतरते हुए विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा कर दी।
हम आपको बता दें कि महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता छगन भुजबल ने कहा है कि मराठा आरक्षण के संबंध में राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ एक फरवरी को विधायकों, सांसदों और तहसीलदारों के आवासों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। भुजबल ने रविवार को अपने आधिकारिक आवास पर एक बैठक की, जिसमें ओबीसी विधायकों, नेताओं और अन्य लोगों ने हिस्सा लिया। भुजबल ने कहा कि इस बैठक में 26 जनवरी को मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तावित मसौदे को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘हम राज्य सरकार के मौजूदा फैसले के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए विधायकों, सांसदों और तहसीलदारों के आवासों के बाहर इकट्ठा होंगे। इस फैसले के जरिए मराठा समुदाय को आरक्षण लाभ देने के लिए अवैध तरीका अपनाया जा रहा है। हम इस तरह के फैसलों के खिलाफ ओबीसी को एकजुट करने के लिए मराठवाड़ा से एक ‘एल्गार रैली’ भी निकालेंगे।’ भुजबल ने कहा, ‘राज्य में ओबीसी को मूर्ख बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। जब कानून में रिश्तेदारों की स्पष्ट परिभाषा बताई गई है तो अवैध रूप से इसमें बदलाव क्यों किए गए?’ उन्होंने कहा कि ओबीसी में मराठों को शामिल करने से मौजूदा पिछड़ा वर्ग बाहर हो जाएगा और वे आरक्षण लाभ से वंचित हो जाएंगे।’
वहीं केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने कहा है कि वह महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले से सहमत नहीं हैं, जिसमें कहा गया है कि जब तक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता है, तब तक उन्हें ओबीसी को मिल रहे सभी लाभ मिलेंगे। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री राणे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि यह अन्य पिछड़ा वर्ग (के अधिकारों) में अतिक्रमण होगा तथा इससे महाराष्ट्र में अशांति फैल सकती है। राणे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वह राज्य सरकार के फैसले को तथा आरक्षण के संबंध में मराठा समुदाय को उसके द्वारा दिये गये आश्वासन को मंजूर नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इससे ऐतिहासिक विरासत वाले मराठा समुदाय का दमन होगा और यह अन्य पिछड़े समुदायों में भी अतिक्रमण होगा।’’ उन्होंने कहा, ”इससे राज्य में अशांति फैलेगी।’’ उन्होंने कहा कि वह आज भी इस मुद्दे पर बोलेंगे।
वहीं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने आश्वासन देते हुए कहा है कि ओबीसी को (अधिसूचना से) डरने की जरूरत नहीं है। उनके साथ कोई नाइंसाफी नहीं होगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता फडणवीस ने कहा, ‘‘मैं भुजबल को बताना चाहता हूं कि कुनबी प्रमाण पत्र उन लोगों को नहीं दिया जाएगा जो कुनबी रिकॉर्ड का प्रमाण नहीं दिखा सकते हैं।” उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के फैसले से उन लोगों को फायदा होगा जिनके पास रिकॉर्ड तो हैं लेकिन वे जाति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं कर पाए हैं। शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में गृह विभाग संभाल रहे फडणवीस ने यह भी स्पष्ट किया कि आरक्षण आंदोलन के दौरान आगजनी करने वालों और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ प्राथमिकी वापस नहीं ली जाएगी।
हम आपको बता दें कि यह सारा विवाद तब खड़ा हुआ जब महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि उसने मनोज जरांगे की सभी मांगें स्वीकार कर ली हैं। इसके बाद जरांगे ने तो अपना अनशन खत्म कर दिया मगर सरकार के भीतर ही विरोध के स्वर तब खड़े हो गये जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की कि जब तक मराठा को आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक समुदाय को ओबीसी को मिलने वाले लाभ दिए जाएंगे। शिंदे सरकार ने मराठा समुदाय के उन सभी रक्त संबंधियों को कुनबी के रूप में मान्यता देने के लिए एक अधिसूचना भी जारी की, जिनके कुनबी जाति के रिकॉर्ड पाए गए हैं। हम आपको बता दें कि कृषक समुदाय कुनबी राज्य में ओबीसी समूह का हिस्सा है।
दूसरी ओर, मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने कहा है कि जब तक समुदाय के सदस्यों को महाराष्ट्र सरकार की प्रस्तावित अधिसूचना के तहत लाभ मिलना शुरू नहीं हो जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने यह घोषणा नवी मुंबई में अपने प्रदर्शन को स्थगित करने के एक दिन बाद रविवार को की। हम आपको बता दें कि अनशन समाप्त करने के बाद से मनोज जरांगे को कुछ वर्गों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। आलोचकों का दावा है कि राज्य सरकार ने जरांगे को केवल एक मसौदा प्रस्ताव दिया था न कि औपचारिक अधिसूचना। जालना में जब संवाददाताओं ने उनसे अगले कदम के बारे में पूछा तो जरांगे ने कहा, ‘‘हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि राज्य द्वारा लागू किए जा रहे नए नियमों के तहत समुदाय के कम से कम एक व्यक्ति को लाभ नहीं मिलता। राज्य सरकार ने मुझे मसौदा दिखाया है और अंतिम अधिसूचना अभी आना बाकी है। हम घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं।’’