केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे तमाम प्रयासों के बाद भी मणिपुर पिछले करीब डेढ़ महीने से हिंसा की आग में जल रहा है। दो समुदायों के बीच शुरू हुई इस हिंसा की आग ने राज्य की शांति व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है, जिसके चलते राज्य में चप्पे-चप्पे सैकड़ों की संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं। इस हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, वहीं हजारों लोगों को विस्थापित किया है। अब मणिपुर में हुई इस भयंकर हिंसा को लेकर एक और दावा सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि इस हिंसा में चर्चों को टारगेट किया गया। Indigenous Tribal Leaders’ Forum (ITLF) ने दावा किया है कि मणिपुर में हिंसा के दौरान 253 चर्चों को जलाया गया।


मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक चुराचांदपुर जिले में मान्यता प्राप्त जनजातियों के संगठन ITLF ने चर्चों पर हुए हमलों को लेकर जानकारी दी है। इस संगठन की तरफ से राज्यपाल अनुसुईया उइके को एक ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें चर्चों को लेकर ये दावा किया गया है की जानबूझ कर दुसरे समुदाय के लोगों ने चर्च को निशाना बनाया। बता दें कि मणिपुर का चुराचंदपुर जिला हिंसा में सबसे अधिक प्रभावित हुआ था।

मणिपुर में 3 मई से हिंसा शुरु हुई थी, जो अब तक जारी है। सरकार के सारे उपाय यहां नाकाम दिख रहे हैं। राज्य के सबसे ज्यादा आबादी वाले मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग के बाद कुकी और नगा समुदाय ने इसका विरोध शुरू किया। इसी विरोध प्रदर्शन के दौरान ये हिंसा भड़कनी शुरू हुई।

ITLF ने मणिपुर की राज्यपाल को जो ज्ञापन सौंपा है, उसमें साफ़-साफ ये आरोप लगाया गया है कि मेतई और सरकार की विचारधारा एक सामान है जिसके चलते कुकी समुदाय के लोगों को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी अनदेखी हो रही है। इस संगठन ने आरोप लगाया कि उनके लोगों के खिलाफ सुनियोजित तरीके से हिंसा की जा रही है। आगे यह भी दावा किया है कि इस हिंसा में कई लोग लापता हैं और 160 गांवों के लगभग 4500 घरों को जला दिया गया है। जिसके चलते यहां के सिर्फ एक समुदाय के करीब 36 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं।

3 मई से शुरू हुए हिंसक झड़प में अभी तक 105 लोगों की मौत हो चुकी है। 320 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हालांकि यह सरकारी आंकड़ा है। स्थानीय लोगों के अनुसार वास्तविक संख्या इससे कही अधिक है। मणिपुर में जारी हिंसा को देखते हुए राज्य में इंटरनेट पर पाबंदी 15 जून तक बढ़ा दी गई है। सूचना एवं जनसंपर्क और स्वास्थ्य मंत्री एस. रंजन ने रविवार को यहां कहा कि मणिपुर की जातीय हिंसा में विस्थापित हुए 50,650 से अधिक पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को 350 शिविरों में शरण दी गई है।

मोरेह-इम्फाल, इम्फाल-चुराचंदपुर और इम्फाल-कांगपोकपी से हेलीकाप्टर सेवाएं पहले ही शुरू की जा चुकी हैं। विभिन्न कुकी आदिवासी संगठनों ने मणिपुर में इम्फाल-दीमापुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-2) को अवरुद्ध करना जारी रखा है, जिससे आवश्यक वस्तुओं, खाद्यान्नों, परिवहन ईंधन और जीवन रक्षक दवाओं के परिवहन की गंभीर समस्या पैदा हो गई है।

बिष्णुपुर जिले के गोविंदपुर गांव में सुरक्षा बलों के साथ आज हुई मुठभेड़ में एक उपद्रवी मारा गया है और दो अन्य घायल हो गए हैं। पुलिस का कहना है कि ग्रामीणों ने उपद्रवी के कुछ अस्थायी बंकरों और वॉच टावर में आग लगा दी गई थी, जिसके बाद दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए और जमकर गोलीबारी हुई। इसी दौरान एक उपद्रवी की गोली लगने से मौत हो गई।

दरअसल मणिपुर का मेइती समुदाय उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है। इसके खिलाफ तीन मई को राज्य के पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया, जिसके बाद राज्य में हिंसा शुरू हो गई। राज्य के 16 जिलों में से 11 में कर्फ्यू लगा हुआ है।

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