राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने बुधवार को राजनीतिक दलों से आग्रह किया है कि मणिपुर के मुद्दे पर राजनीति न करें। उन्होंने कहा है कि राजनीति के लिए मणिपुर के दोनों समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़े करने की कोशिश न हो।

संघ के नेता ने हिंसा प्रभावित राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द और शांति बहाली पर जोर दिया है। विपक्षी दलों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर हिंसा पर संसद में बयान देने की मांग पर उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए अपने सुझाव देने चाहिए।

जम्मू में गुज्जर समुदाय के एक कार्यक्रम के दौरान इंद्रेश कुमार ने कहा, ‘मैं सभी राजनीतिक पार्टियों से अनुरोध करना चाहता हूं कि वे मणिपुर में दोनों समुदायों को भड़काने, उन्हें विभाजित करने और एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने के इरादे से राजनीति न करें।’

उनके मुताबिक, ‘उन्हें (राजनीतिक दलों को) क्षेत्र में शांति, सौहार्द और समृद्धि बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’ पीएम मोदी से संसद में बयान दिए जाने की मांग से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, ‘यदि राजनीतिक दलों के पास कोई सुझाव है तो उन्हें क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए आगे आना चाहिए।’

आरएसएस के नेता ने कहा, ‘मुझे यह शर्मनाक लगता है, जब दो समुदाय आपस में लड़ते हैं। यह नहीं होना चाहिए। दोनों समुदायों को एक-दूसरे के साथ शांतिपूर्ण तरीके से रहना चाहिए और मणिपुर को रहने लायक एक सर्वश्रेष्ठ स्थान बनाना चाहिए।’ गौरतलब है कि मणिपुर में 3 मई से जारी अव्यवस्था को लेकर अभी देश की राजनीति बहुत गर्म है।

इस मसले पर विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है और यहां तक की पर्याप्त बहुमत वाली सरकार के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाकर एक सियासी संदेश देने की कोशिश हो रही है।

राज्य में पिछले 3 मई से ही कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसक संघर्ष चल रहा है। इसी को लेकर अभी देश की संसद में भी गतिरोध बना हुआ है और संसदीय कामकाज सुचारू तरीके से नहीं चल पा रहा है।

संघ के पदाधिकारी ने यह भी कहा कि जम्मू और कश्मीर के लोग चाहते हैं कि पाकिस्तानी कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) और गिलगित बाल्टिस्तान को पाकिस्तान के अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाना चाहिए। उनके मुताबिक, ‘यह (मांग) समय-समय पर उठाई जाती है। पाकिस्तानी कब्जे वाले जम्मू कश्मीर के लोग पाकिस्तान से नाखुश हैं, इसलिए वह भारत की ओर देख रहे हैं। हमने यहां से लोगों को संदेश दिया है कि उनकी मुश्किल घड़ी में हम उनके साथ खड़े हैं।’

जम्मू और कश्मीर में ‘पहाडियों’ को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आरक्षण दिए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार समाज के हर वर्ग को न्याय सुनिश्चित कराने के लिए प्रतिबद्ध है। बता दें कि जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म किए हुए चार साल होने जा रहे हैं। इस दौरान प्रदेश की राजनीतिक और कानून-व्यवस्था की स्थिति काफी बदल चुकी है। यही वजह है कि संघ और भाजपा नेताओं और मोदी सरकार की ओर से भी पीओके और गिलगित बाल्टिस्तान को लेकर काफी सख्त बयान दिए जाते रहे हैं।

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