केंद्र ने मणिपुर में दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न और हिंसा घटनाओं को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को स्थानांतरित करने के फैसले से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराते हुए इस मामले की सुनवाई राज्य से बाहर छह महीने के भीतर करने का निर्देश देने की गुहार लगाई है। शीर्ष अदालत इस मामले पर आज (शुक्रवार) को सुनवाई करेगी। वह मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका से संबंधित मामले पर सुनवाई करेगी।

केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई से पहले गुरुवार को दायर एक हलफनामे यह भी कहा है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के सामने आने के बाद लगातार मामले की निगरानी की जा रही है। केंद्र सरकार ने अदालत के समक्ष कहा है कि उसका दृष्टिकोण महिलाओं के खिलाफ किसी भी स्तर के अपराध को बर्दाश्त नहीं करने की रही है। वह वर्तमान घटना को भी बहुत जघन्य मानती है। वह मानती है कि इस मामले को न केवल गंभीरता से लिया जाना चाहिए बल्कि समय पर तरीके से न्याय भी होना चाहिए, ताकि इसका असर महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के संबंध में पूरे देश में निवारक प्रभाव पड़े।

केंद्र सरकार ने इन दलीलों के साथ शीर्ष अदालत से मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर स्थानांतरित करने करने की गुहार लगाते हुए कहा कि आरोप पत्र दाखिल होने के छह महीने के भीतर समयबद्ध तरीके से सुनवाई पूरी की जानी चाहिए। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि वह उससे अनुरोध करती है कि विचाराधीन अपराध के मुकदमे सहित पूरे मामले को मणिपुर है से बाहर किसी भी राज्य में स्थानांतरित करने का आदेश दे। मणिपुर की महिलाओं से जुड़ी भयावह घटना का वायरल वीडियो सामने आने के बाद शीर्ष अदालत ने पिछले हफ्ते अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कहा था कि यह अदालत ‘‘बेहद से परेशान” है।

आपराधिक मामलों की रोकथाम और राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वह (मौजूदा कंपनियों के अलावा) 3 मई 2023 से सीएपीएफएस की अतिरिक्त कंपनियां प्रदान कर रहा है। केंद्र ने अदालत को बताया है कि ‘‘स्थानीय पुलिस के अलावा सीएपीएफएस की 124 अतिरिक्त कंपनियां और सेना/असम राइफल्स की 185 टुकड़यिां मणिपुर में तैनात हैं। सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता में सभी सुरक्षा बलों और नागरिक प्रशासन के प्रतिनिधित्व वाली एक एकीकृत कमान स्थापित की गई है। भविष्य में ऐसी किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए नागरिक प्रशासन के सहयोग से खुफिया जानकारी जुटाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। कार्यवाई की जानकारी देते हुए केंद्र सरकार ने अदालत को बताया है कि कर्फ्यू, अन्य कानूनों आदि का उल्लंघन करने के लिए 13,782 लोगों को पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है।

 

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