मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संस्कृति पर हमला सबसे खतरनाक है। इसके लिए जागरुकता सबसे जरूरी है। इसकी शुरुआत अपने घर से करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई विरोध तभी शुरू होता है जब उसकी संस्कृति पर हमला होता है। 1857 का स्वाधीनता संग्राम इसका उदाहरण है।
मुख्यमंत्री रविवार को गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में सेव कल्चर सेव इंडिया फाउंडेशन की ओर से आयोजित सांस्कृति योद्धा पुरस्कार-2023 कार्यक्रम को संबोधित कर थे। कार्यक्रम में संस्कृति को बचाने के लिए काम करने वाले नौ सांस्कृतिक योद्धाओं को सम्मानित किया। साथ ही ‘कृपया ध्यान दें’ नामक शार्ट फिल्म को रिलीज किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से 48 साल पहले लोकतंत्र का गला घोंटने का प्रयास हुआ था। अगर यह प्रयास विफल ना होता तो क्या आज हम सब इस तरह कार्यक्रम में एकत्र हो सकते थे। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा होती है। अगर घर में चार भाई हैं तो वह भी अलग-अलग क्षेत्र में जाना चाहते हैं।
हमले के बाद विरोध शुरू होता है योगी ने कहा कि भारत ने सैकड़ों वर्षों तक गुलामी झेली। हमने तभी उसका विरोध किया, जब हमारी संस्कृति पर हमला हुआ। 1857 के स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत इसलिए हुई कि सैनिकों को चर्बी लगे कारतूस मिले थे। देवासुर संग्राम हो या फिर राम-रावण युद्ध, ये सब संस्कृतियों पर हमले के बाद शुरू हुए। देश में मुगलों का पतन तब शुरू हुआ जब वह मंदिरों पर हमले शुरू किए। सुना है कि औरंगजेब के वर्तमान वंशज रिक्शा चला रहे हैं। 2047 में जब हम आजादी का शताब्दी वर्ष मना रहे होंगे तो उससे पहले हमें गुलामी के सभी अंशों को मिटाना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाएं। स्मार्ट फोन हर हाथ में हैं। औसतन पांच से छह घंटे लोग इसमें समय बिताते हैं। अगर यह समय सकारात्मक कार्यों के लिए लगाया जाता तो ठीक है। गाजियाबाद में स्मार्ट फोन में गेमिंग के जरिये धर्म परिवर्तन बड़ा मामला सामने आया है। इससे पहले मूक-बधिर बच्चों को स्मार्ट फोन देकर उन्हें धर्म परिवर्तन कराते पकड़े गए थे। सभ्य परिवारों के लोगों को फंसाकर धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक का उपयोग करें, लेकिन उसका दास न बनें।
लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि संस्कार बचाना है। इसके लिए कार्यक्रम में सम्मानित किए गए सांस्कृतिक योद्धा काम कर रहे हैं। संस्कृति क्या है, इसे समझना चाहिए। समझना कम और बोलना अधिक, यह गलत है। इस समाज में नर से नारायण बन सकते हैं। अच्छी सोच वाला ही अच्छा नागरिक बनता है। उन्होंने कहा कि जो समाज के लिए अच्छा करते हैं, उनके पीछे लोग खड़े हैं। लोगों को जिम्मेदारी को निभाना चाहिए।