मुस्लिम वर्ल्ड लीग (Muslim World League) के महासचिव डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-इस्सा भारत दौरे पर हैं, हाल ही में उन्होंने प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। पीएम मोदी से मुलाकात के बाद उन्होंन उनकी काफी तारीफ की थी। वहीं अब एक चैनल को दिए इंटरव्यू में अल इस्सा ने कहा कि भारत में मुसलमानों को देश के संविधान पर गर्व है, साथी नागरिकों के साथ भाईचारे का रिश्ता है और समुदाय का नेतृत्व करने वाले लोग समाज के सक्रिय सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि अगर कुछ मतभेद हैं तो उन पर संविधान के तहत चर्चा होनी चाहिए।

इंटरव्यू में अल-इस्सा ने कहा कि इस्लाम ऐसे किसी भी विचार को खारिज करता है जो लोगों के बीच संघर्ष को बढ़ावा देता है और उन सभी विचारों को जो आतंकवाद या उग्रवाद को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी बहुत उपयोगी और सफल बैठकें हुईं। उन्होंने भारत के संविधान को समावेशी और सर्वव्यापी बताया। अल-इस्सा ने समावेशी विकास के प्रति प्रधानमंत्री के ‘चाहतपूर्ण दृष्टिकोण’ की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चरमपंथ और घृणा के सभी पहलुओं का मुकाबला करने के लिए मिलकर काम करने के महत्व पर सहमत हुए, भले ही ऐसी घटनाओं का स्रोत कुछ भी हो।

अल-इस्सा ने कहा कि भारत में रहने वाले मुसलमानों को अपने संविधान पर गर्व है और साथी नागरिकों के साथ उनका भाईचारा का रिश्ता भी है। और निश्चित रूप से हम कहते हैं कि जिन मुद्दों पर कुछ मतभेद हो सकते हैं, उन मुद्दों पर संविधान के भीतर, प्रेम और भाईचारे के ढांचे में चर्चा की जानी चाहिए। अल-इस्सा मुस्लिम स्कॉलर्स के संगठन के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने भारत में इस्लामी नेतृत्व के साथ अपनी दोस्ती का भी उल्लेख किया। अल-इस्सा को सऊदी अरब के उदारवादी इस्लाम पर सबसे मजबूत आवाजों में से एक माना जाता है। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में भारत के साथ उनके देश के संबंध और अधिक मजबूत हुए हैं। अल-इस्सा भारत की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं जो 10 जुलाई को शुरू हुई थी।अल-इस्सा ने कहा कि उनकी भारत यात्रा हमारे यहां के दोस्तों की यात्रा है। मैं इस यात्रा से बहुत खुश हूं। इस यात्रा के दौरान, निश्चित रूप से हमारी बहुत महत्वपूर्ण बैठकें हुईं और मुझे राजनीतिक क्षेत्र के नेतृत्व के साथ-साथ धार्मिक नेतृत्व से भी मिलकर खुशी हुई और ये सभी बैठकें बहुत उपयोगी थीं। हमने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जो राष्ट्रीय समाजों की सद्भावना और हमारी दुनिया की शांति से संबंधित हैं।

अल-इस्सा ने कहा कि वैश्विक शांति, प्रगति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बने आईएसआईएस, अलकायदा, तालिबान और बोको हराम जैसे आतंकवादी संगठनों का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। शेख अल-इस्सा ने कहा कि ये आतंकवादी संगठन अपने अलावा किसी का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, उनका कोई धर्म या देश नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे विचारों का मुकाबला करने के लिए सऊदी अरब साम्राज्य के पास सबसे मजबूत मंच में से एक है। अल-इस्सा आतंकवाद के खिलाफ मुखर रहे हैं और बुधवार को “धर्मों के बीच सद्भाव के लिए संवाद” को संबोधित करते हुए उन्होंने फिर से आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले संगठनों पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि गलतफहमियों, घृणित सिद्धांतों और गलत धारणाओं ने कट्टरपंथ से आतंकवाद तक की राह को तेज कर दिया है। सत्ता पर कब्जा जमाने के लिए कई नेताओं ने अपना नियंत्रण और प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए नफरत भरे भाषणों का इस्तेमाल किया है।

 

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