खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। इस तनाव के बीच कनाडा ने भारत के दबाव के आगे झुकते हुए राजनीतिक शरण देने की अपनी नीति में बदलाव कर दिया है। कनाडा सरकार ने 29 नवंबर से नए आवेदन स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है। इसके तहत जिन लोगों को शरण दी जाएगी उनके आवेदन की बारीकी से जांच की जाएगी।

कनाडा सरकार ने आदेश जारी किया है कि 29 नवंबर 2023 से शरणार्थियों के निजी प्रायोजन (PR) कार्यक्रम के तहत पांच के समूहों और सामुदायिक प्रायोजकों से नए आवेदन अस्थायी रूप से स्वीकार नहीं किए जाएंगे। यह नियम 31 दिसंबर 2025 तक प्रभावी रहेगा। इस नियम के मुताबिक 29 नवंबर से पहले जो भी आवेदन प्राप्त हुए हैं उन्हें ही कनाडा में बसाने पर विचार किया जाएगा। कनाडा इस समय हर साल 23,000 शरणार्थियों को बसाता है लेकिन अब इन शरणार्थियों के आवेदन की सख्त जांच की जाएगी।

यह निर्णय विशेष रूप से पंजाब के उन युवाओं को प्रभावित करेगा जो कनाडा में शरण लेने के लिए आवेदन कर रहे थे। इस मौके पर सुखविंदर नंदा एसोसिएशन आफ कंसलटेंट फार ओवरसीज स्टडीज के सचिव ने बताया कि इस साल 30 से 40 हजार से अधिक विद्यार्थी और टूरिस्ट वीजा पर कनाडा जाने वाले लोग शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। हर साल लगभग 1.5 लाख छात्र स्टडी वीजा पर कनाडा जाते हैं जिनमें से कई लोग बाद में राजनीतिक शरण लेने की कोशिश करते हैं।

कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने कहा कि बड़ी संख्या में छात्र राजनीतिक शरण के लिए आवेदन करते हैं जिनमें से कई का दावा झूठा होता है। मंत्री ने कहा कि अधिकतर मामलों में शरण के लिए वैध कारण नहीं होते जैसे कि आर्थिक तंगी। उन्होंने कहा कि ऐसे आवेदन देने के लिए इमिग्रेशन सलाहकार जिम्मेदार होते हैं जो अनैतिक सलाह देते हैं। कनाडा का इमिग्रेशन विभाग अब उन सलाहकारों पर कड़ी नजर रखेगा जो शरण के दावों को बढ़ावा देते हैं।

संगरूर के पूर्व सांसद और शिअद (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान ने पिछले साल यह स्वीकार किया था कि उन्होंने पंजाब के 50,000 युवाओं को राजनीतिक शरण के लिए पत्र जारी किए थे। उन्होंने माना कि वह प्रति पत्र 50,000 रुपये लेते थे। इन पत्रों के जरिए शरणार्थी अपनी कथित पीड़ा और अत्याचार की कहानियां बताते थे। सिमरनजीत ने यह भी कहा था कि वह इस धन का उपयोग अपनी पार्टी चलाने में करते थे।

पंजाब से कनाडा जाने वाले कई छात्र अलगाववादी रैलियों में जानबूझकर भाग लेते हैं, ताकि वे अपनी तस्वीरें मीडिया में दिखाकर शरण लेने के लिए आवेदन कर सकें। यह रणनीति अक्सर उन युवाओं द्वारा अपनाई जाती है, जो कनाडा में स्थायी रूप से बसने के लिए शरण के आवेदन देना चाहते हैं।

कनाडा का यह नया कदम भारत के दबाव और अंतरराष्ट्रीय राजनीति से जुड़ा हुआ है। अब कनाडा ने अपने शरणार्थी कार्यक्रम में कड़ी निगरानी और जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसका असर पंजाब के उन युवाओं पर पड़ेगा जो शरण लेने के लिए कनाडा जा रहे थे।

 

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