देश की पहली ‘नदी के नीचे से गुजरने वाली मेट्रो रेल को बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरी झंडी दिखा कर रवाना करेंगे। नवनिर्मिंत कोलकाता मेट्रो की हावड़ा मैदान-एस्पलेनेड मेट्रो खंड के लोकार्पण की तैयारी पूरी हो गई है।
यह कोलकाता मेट्रो रेल का ऐसा पहला सेक्शन है जो कि एक घंटे में करीब 43,000 यात्रियों को सफर की सुविधा उपलब्ध कराएगी। एक दिन में इस सेक्शन पर करीब 7.50 लाख लोग सफर कर सकेंगे। हावड़ा मैदान मेट्रो स्टेशन को 54000 वर्ग मीटर में बनाया गया ताकि यात्रियों को आवागमन की सुविधा आसानी से मिलती रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को कोलकाता मेट्रो की हावड़ा मैदान-एस्पलेनेड मेट्रो खंड, कवि सुभाष-हेमंत मुखोपाध्याय मेट्रो खंड, तारातला-माजेरहाट मेट्रो खंड (जोका-एस्पलेनैड लाइन का हिस्सा) परियोजना का लोकार्पण करेंगे। हावड़ा मैदान – एस्पलेनेड मेट्रो खंड में भारत की किसी भी बड़ी एवं तीव्र प्रवाह वाली नदी के नीचे पहली परिवहन सुरंग है। हावड़ा मेट्रो स्टेशन भारत का सबसे गहरा मेट्रो स्टेशन है।
कोलकाता मेट्रो रेल निगम (केएमआरसी) लिमिटेड द्वारा निर्मिंत इस सुरंग में मेट्रो रेल हुगली नदी के जल प्रवाह के 520 मीटर लंबे भाग को 45 मिनट में पार करेगी। अपने तरह की इस अद्वितीय सुरंग को जमीन से 33 मीटर और नदी की तलहटी के 16 मीटर नीचे, जर्मनी से आयातित विशेष मशीन अर्थ प्रेशर बैलेंसिंग मशीन (ईपीबीएम) से तैयार किया गया है।
हावड़ा मैदान से सेक्टर 5 के बीच 16.55 किलोमीटर लंबी पूर्व-पश्चिम मेट्रो परियोजना में 9.25 किलोमीटर का हिस्सा सियालदह से सेक्टर 5 तक पहले ही बन चुका है। सियालदह से हावड़ा मैदान का हिस्सा अब परिचालन के लिए तैयार हो चुका है। इसके मार्ग में 12 स्टेशन हैं , जिसमें छह भूमिगत और छह एलिवेटेड हैं।
पूर्व रेल के दो बड़े स्टेशनों – हावड़ा एवं सियालदह को जोड़ने वाली यह मेट्रो लाइन हुगली नदी के नीचे से निकलती है। हुगली के जल प्रवाह के 33 मीटर नीचे 510 मीटर लंबे भाग को बनाना बहुत ही जोखिम और सावधानी वाला कार्य था।
रेल अधिकारियों के मुताबिक सामान्यत: सुरंग बनाने में 120 करोड़ रु पये प्रति किलोमीटर की लागत आई है लेकिन नदी के नीचे निर्माण में 157 करोड़ रु पये प्रति किलोमीटर की लागत आई है। पूर्व-पश्चिम मेट्रो परियोजना की कुल अनुमानित लागत 10442 करोड़ रु पए है जिसमें से एस्प्लेनेड स्टेशन से हावड़ा मैदान तक करीब साढ़े चार किलोमीटर के भूमिगत खंड की लागत 4138 करोड़ रुपये है।