जम्मू-कश्मीर के पहलगाम  में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले ने न केवल भारत को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि पाकिस्तान की सैन्य और राजनैतिक हलकों में भी भारी हलचल मचा दी है। इसी के मद्देनजर पाकिस्तान की सेना ने शुक्रवार को रावलपिंडी स्थित जनरल हेडक्वार्टर (GHQ) में   कोर कमांडरों की एक विशेष आपातकालीन बैठक बुलाई। इस अहम बैठक की अध्यक्षता पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर ने की। बैठक का मुख्य उद्देश्य  भारत के साथ वर्तमान “गतिरोध” की समीक्षा करना और यह आंकलन करना था कि अगर भारत सर्जिकल स्ट्राइक या जवाबी हमला करता है तो पाकिस्तान की सेना की तैयारी कैसी होनी चाहिए। पाकिस्तानी सेना की ओर से बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया:  “मंच ने किसी भी आक्रमण या दुस्साहस के खिलाफ देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के अडिग संकल्प की पुष्टि की।”

 भारत की “फुल ऑपरेशनल फ्रीडम” से पाकिस्तान में बेचैनी
दरअसल, 29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, सेना प्रमुखों और अन्य शीर्ष रक्षा अधिकारियों के साथ बैठक में साफ निर्देश दिया कि  पहलगाम हमले के जवाब में समय, तरीका और जगह तय करने की पूरी छूट भारतीय सेना को दी गई है।  इसका अर्थ है कि भारत किसी भी समय सीमापार जवाबी कार्रवाई कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान पाकिस्तान की सेना और सरकार दोनों के लिए चेतावनी  से कम नहीं था, और रावलपिंडी में बुलाई गई यह बैठक भारत के अगले कदम को लेकर गहरे डर को दर्शाती है।

पहलगाम हमला और उसकी जिम्मेदारी
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के  पहलगाम में आतंकवादियों ने एक बस पर हमला कर दिया था जिसमें  26 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। भारत की खुफिया एजेंसियों और मीडिया रिपोर्ट्स में हमले की साजिश रचने में  पाकिस्तानी आतंकियों के शामिल होने की बात कही गई है। हालांकि पाकिस्तान ने भारतीय आरोपों को खारिज  कर दिया है और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में सऊदी, यूएई और कुवैत के राजदूतों से मिलकर भारत पर दबाव डालने की अपील की थी। पाकिस्तानी सेना और सरकार भले ही अंतरराष्ट्रीय जांच  की बात कर रही हो, लेकिन  ग्लोबल थिंक टैंक और पश्चिमी खुफिया एजेंसियां*पाकिस्तान की धरती से संचालित हो रहे आतंकी नेटवर्कों को लंबे समय से चिन्हित करती आई हैं। पहलगाम हमला इसी श्रेणी में देखा जा रहा है।

भारत दे सकता है बड़ा जवाब 
भारत पहले भी उरी (2016) और पुलवामा (2019) के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक के ज़रिए पाकिस्तान को कड़ा संदेश दे चुका है। इस बार भी संभावना जताई जा रही है कि भारत सैन्य या डिप्लोमैटिक रूप से मुंहतोड़ जवाब  देगा। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार  पाकिस्तान की आपात सैन्य बैठक इस बात की पुष्टि करती है कि भारत की चुप्पी उसके लिए सबसे बड़ी चिंता बन चुकी है।

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