पंजाब और हरियाणा बॉर्डर पर एक तरफ किसानों से घमासान चल रहा है। बातचीत की कोशिश असफल हो रही है, पुलिस को आंसू गैस और बल का प्रयोग करना पड़ रहा है,

तो दूसरी तरफ नोएडा और गाजियाबाद बॉर्डर पर पुलिस बल तो तैनात है, लेकिन स्थिति सामान्य है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि इस बार किसान आंदोलन को सभी किसान संगठनों का पूर्ण रूप से समर्थन प्राप्त नहीं है। इसीलिए हर बॉर्डर पर वह जोर दिखाई नहीं दे रहा है।

किसान आंदोलन को लेकर नोएडा और गाजियाबाद बॉर्डर पर भले ही पुलिस बल मौजूद हो, लेकिन पहले की तरह सख्ती देखने को नहीं मिल रही है। यातायात भी सामान्य रूप से चल रहा है।

संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन ने भारत बंद का आह्वा्वान किया था, लेकिन इसका खास असर देखने को नहीं मिला था। एहतियात के तौर पर नोएडा और गाजियाबाद के बॉर्डर पर पुलिस बल तैनात है। बैरिकेडिंग रखी गई है, पैरामिलिट्री फोर्सेस को तैनात किया गया है, लेकिन टकराव की स्थिति देखने को नहीं मिली है।

भारतीय किसान यूनियन के नेता चौधरी राकेश टिकैत के कई बयान सामने आए, जिनके मुताबिक उन्होंने बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को अपने समर्थन देने की बात जरूर कही है, लेकिन उन्हें धैर्य रखने को कहा है और भारतीय किसान यूनियन की भूमिका इस आंदोलन को लेकर सकारात्मक नहीं दिखाई दे रही है।

इस मुद्दे पर भारतीय किसान यूनियन के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पवन खटाना ने बताया कि सभी किसान संगठनों की अलग-अलग मांगे हैं, जिनको लेकर वह अपना प्रदर्शन करते रहते हैं। हम एक दूसरे से जुड़े जरूर हैंं, लेकिन कई मुद्दों पर विचारधाराएं अलग हैंं, इसीलिए जब संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन एक साथ मिलकर किसी मुद्दे पर आंदोलन करता है, तो हम अग्रणी भूमिका में रहते हैं।

फिलहाल किसान आंदोलन के चलते आम लोगों को दिक्कतें तो हुईं, लेकिन बीते कई आंदोलन की तरह लोगों को बहुत ज्यादा यातायात संबंधी या अन्य दिक्कतों से जूझना नहीं पड़ा। इस बार पुलिस ने पहले ही कई किसान नेताओं को उनके घर में नजर बंद भी कर दिया था और यह साफ तौर पर संदेश था कि किसी तरीके का उपद्रव और बवाल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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