दिल्ली पुलिस ने आज गुरुवार को पटियाला कोर्ट में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ नाबालिग महिला पहलवान के आरोपों की जांच के मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। दिल्ली पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ पॉक्सो की धारा के तहत अपराध जैसा संकेत देने के लिए कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है और पटियाला हाउस कोर्ट से पॉक्सो मामले को रद्द करने की सिफारिश की। इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 4 जुलाई को होनी है। बता दें कि केस रद्द करने की रिपोर्ट उन मामलों में दायर की जाती है जब जांच में कोई पुष्टिकारक साक्ष्य नहीं मिलता है।
दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में साफ-साफ बताया है कि पॉस्को मामले में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ हमें पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिला। दिल्ली पुलिस द्वारा पॉस्को मामले में जांच पूरी होने के बाद पीड़िता के पिता और पीड़िता के बयानों के आधार पर कोर्ट में मामले को खत्म करने का अनुरोध किया गया है। इसी को लेकर धारा 173CrPC के तहत एक पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
बता दें कि सिंह के खिलाफ इस मामले में सात महिला पहलवानों ने 21 अप्रैल को दिल्ली पुलिस में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। जिसके बाद 28 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो मामले दर्ज किए थे। पहला मामला बालिग महिला पहलवानों की शिकायत पर था, जबकि दूसरा मामला नाबालिग पहलवान के यौन उत्पीड़न पर दर्ज हुआ था।
इस मामले में पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ पॉस्को एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। दूसरा मामला दर्ज होने के बाद ऐसा लग रहा था की पूर्व चीफ अब लंबा अंदर जाने वाले हैं। लेकिन पीड़िता के बयान के बाद दिल्ली पुलिस ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न वाले मामले में ही बृजभूषण को राहत दी है।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बाद में नाबालिग रेसलर ने अपना बयान बदल दिया और यौन उत्पीड़न की जगह टूर्नामेंट के दौरान भेदभाव करने का आरोप लगा दिया। इसके साथ ही पहलवान के नाबालिग होने पर भी सवाल खड़े हो गए। जिसपर उसने सफाई दी कि वह गुस्से और डिप्रेशन में थी। इसलिए उसने यौन उत्पीड़न का आरोप लगा दिया। इस बयान के बाद केस में दम नहीं बचा।
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक, 7 साल से कम सजा वाली धाराओं में गिरफ्तारी जांच करने वाले के खुद के सुझबुझ पर डिपेंड करता है। ऐसे में जिस पर आरोप लगा है और वो पुलिस को जांच में सहयोग करता है तो गिरफ्तारी जरूरी नहीं है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक इस मामले में बृजभूषण को जब भी जांच संबंधी सवालों को लेकर संपर्क किया गया, उन्हें बुलाया गया है तो उन्होंने पूरा सहयोग किया है। इस कारण उन्हें गिरफ्तार करने की उनके पास कोई खास वजह नहीं थी।
दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पीड़ितों का दिया गया बयान दो आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट करने का मुख्य वजह है। नाबालिग के बयान पर पुलिस उसे कथित अपराध के स्थान पर ले गई। उन्हें इस दौरान कोई भी सुनसान जगह नहीं मिली जहां अपराध हो सकता था।
बता दें कि पीड़िता ने अपनी शिकायत में दावा किया कि आरोपी ने उसे उस कमरे में बुलाया जहां उसपर कथित तौर पर हमला किया गया। पीड़ितों द्वारा दिए गए डिजिटल साक्ष्य अपराध के कथित स्थान पर अभियुक्तों की उपस्थिति को मजबूती से साबित करते हैं।
पीड़ितों ने अपने आरोपों के समर्थन में दिल्ली पुलिस को लगभग पांच तस्वीरें दी है। दो दर्जन गवाहों में से लगभग सात ने सिंह के खिलाफ पीड़ितों के आरोपों का समर्थन किया है। बाकी आरोपियों के पक्ष में बोले हैं। वे सभी ट्रायल के दौरान क्रॉस एग्जामिनेशन से गुजरेंगे। दूसरे देशों के कुश्ती महासंघों से डिजिटल साक्ष्य मिलने के बाद पुलिस एक और आरोपपत्र दायर करेगी।
सबसे पहले 18 जनवरी को पहली बार कई पहलवान बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे।फिर सरकार द्वारा एक्शन किये जाने के आश्वासन मिलने के बाद ये धरने से उठ गये, समय पर एक्शन नहीं होने पर 23 अप्रैल को पहलवानों ने दूसरी बार धरना शुरू किया। इस दौरान पहलवानों ने मौसम की मार झेली, पुलिस के साथ हाथापाई भी हुई। पहलवानों के खिलाफ एफआईआर भी हुई, लेकिन विरोध प्रदर्शन जारी रहा।
पहलवानों और गृहमंत्री अमित शाह के बीच करीब दो घंटे चली मुलाकात के बाद कहानी बदल गई और पहलवान अपनी नौकरियों पर पर लौट गए। फिर सात जून को खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों को मुलाकात के लिए बुलाया। खेल मंत्री से मिलने पहुंचे पहलवानों ने कहा कि उनका आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। जब तक सिंह की गिरफ्तारी नहीं होगी पहलवान धरना देते रहेंगे, ऐसा उन्होंने दावा किया है।