ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बड़ा एक्शन लेते हुए शुक्रवार (7 जुलाई) को रेलवे के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया। तीनों को आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या का केस) के तहत गिरफ्तार किया गया है। इन तीनों के नाम सीनियर सेक्शन इंजीनियर अरूण कुमार महांतो, सीनियर सेक्शन इंजीनियर मोहम्मद आमिर खान और टेक्निशियन पप्पू कुमार हैं। आपको बता दें कि एक महीने पहले हुए इस भीषण हादसे में 293 लोगों की मौत हो गई थी।


सीनियर सेक्शन इंजीनियर अरूण कुमार महांतो, सीनियर सेक्शन इंजीनियर मोहम्मद आमिर खान और टेक्निशियन पप्पू कुमार को आईपीसी की धारा धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 201 (सबूत मिटाने के तहत अरेस्ट किया गया है। आईपीसी की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया जाता है। सजा में अपराध की गंभीरता के आधार पर आजीवन कारावास और जुर्माना या कठोर कारावास शामिल है।

बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के महीने से अधिक समय बीत गया है, लेकिन इसके बाद भी ओडिशा रेल हादसे में जान गंवाने वाले 42 मृतकों के शव की अब तक पहचान नहीं हो सकी है। अब भी 42 मृतकों का शव भुवनेश्वर के अस्पताल में रखे हुए है। इन शवों के DNA टेस्ट रिपोर्ट आने का अब भी इंतज़ार है।

दो जून को हुई बालासोर ट्रेन हादसे की हर पहलू की जांच के बाद रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में उन सभी कारणों का जिक्र किया गया है, जिसके चलते हादसा हुआ और सफ़र कर रहे 293 लोगों जान चली गई। इस रिपोर्ट में बताया गया कि हादसे में कई लेवल पर चूक हुई थी। लोकेशन बॉक्स के अंदर वायर की गलत लेबलिंग की बात भी सामने आई है। जांच में साफ़ कहा गया कि अगर इन खामियां को नजरअंदाज नहीं किया जाता तो इस भयंकर हादसा रोका जा सकता था। रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) की रिपोर्ट 28 जून को रेलवे बोर्ड को सौंपी गई थी।

रेल हादसे के लिए रेलवे कर्मचारियों की गलतियों को जिम्‍मेदार ठहराया गया है। लेकिन इस दुर्घटना के लिए मुख्य रूप से स्टेशन मास्टर एस.वी.महान्ति को जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट में ट्रैक में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी न होने की बात कही गई। इएलवी रिप्लेसमेंट पद्धति में गलती होने की बात रिपोर्ट में कही गई है।

इसके आधुनिकीकरण पर रेलवे कर्मचारी ने ध्‍यान नहीं दिया, जिसकी वजह से यह दर्दनाक हादसा हुआ है। बाहानगा बाजार स्टेशन में लेवल क्रासिंग इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर को बदलने वाला काम ना करना भी एक गलती थी। इसमें एक टीम ने वेयरिंग सर्किट को ठीक किया था, हालांकि वह इसकी पुनरावृत्ति करने में विफल हुई थी।

बता दें कि दुर्घटना से करीब दो हफ्ते पहले खड़गपुर मंडल के बांकड़ा नयाबाज स्टेशन पर गलत रिंग और केबल की खराबी के चलते ऐसी ही घटना हुई थी। अगर उस घटना के बाद गलत वायरिंग को ठीक करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए गए होते तो दुर्घटना नहीं घटती। नई रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस में मेन लाइन के लिए ग्रीन सिग्नल था लेकिन ‘पॉइंट’ या ट्रेन की डायरेक्शन डिसाइड करने वाला सिस्टम गलत तरीके से ‘लूप लाइन’ की ओर इशारा करता रहा, जिससे दुर्घटना हुई। इस सब की जिम्मेदारी स्टेशन मास्टर के पास होती है, वो अगर इन सभी कमियों पर धयान देते तो इतनी बड़ी घटना नहीं घटती।

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