भारत ने बांग्लादेश में उग्र बयानबाजी और हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की रक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

भारत ने यह भी आशा व्यक्त की कि बांग्लादेश में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास से संबंधित मामले को न्यायसंगत, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटाया जाएगा।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद को बताया कि भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को गंभीरता से लिया है और अल्पसंख्यकों सहित सभी नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना बांग्लादेश की प्राथमिक जिम्मेदारी है।

अगस्त में बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया है। भारत उस देश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हमलों को लेकर चिंता व्यक्त करता रहा है।

जयशंकर ने कहा, ‘अल्पसंख्यकों सहित बांग्लादेश के सभी नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की है।’ उन्होंने कहा कि ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों से संबंधित स्थिति पर ‘बारीकी से’ नजर रख रहा है।

विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए सभी कदम उठाने का आह्वान किया और उम्मीद जताई कि गिरफ्तार चिन्मय कृष्ण दास से जुड़े मामले को न्यायसंगत, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटाया जाएगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने बांग्लादेश सरकार के समक्ष हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ खतरों और ‘लक्षित हमलों’ का मुद्दा लगातार और दृढता से उठाया है।

उन्होंने कहा, ‘इस मामले पर हमारा रुख स्पष्ट है। अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की रक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।’

 

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