प्रयागराज: मथुरा के बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर निर्माण मामले में शुक्रवार को आगरा के व्यापारी प्रखर गर्ग ने अर्जी देकर कहा कि प्रोजेक्ट के लिए वह धन उपलब्ध करने के लिए तैयार हैं। खर्च का एक हिस्सा एक महीने में जमा कर देंगे।इस पर कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आप मंदिर का पैसा चाहते ही क्यों है क्या सरकार के पास पैसे की कमी है अगर सरकार के पास पैसे कमी है नहीं है तो पूरे विवाद का हल हो गया कोई भी विवाद ही नहीं बचा।
महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा व अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि लोक शांति और व्यवस्था के लिए सरकार ने कॉरिडोर की प्रस्तावित योजना बनाई है जिसमें नागरिक सुविधा मुहैया कराई जाएगी। मंदिर की व्यवस्था के लिए मंदिर का पैसा लगाने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए अनंत शर्मा की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई में सेवायतों की ओर से कहा गया कि सरकार मंदिर की सुविधा बढ़ाना चाहती है, इसमें उन्हें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन मंदिर का ट्रस्ट है। चढ़ावे पर सरकार को दावा नहीं करना चाहिए अधिवक्ता संजय गोस्वामी ने याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाया कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल तथ्यात्मक मुद्दों को लेकर कोई भी याचिका पोषणीय नहीं है कानूनी अधिकार को लेकर ही याचिका पोषणीय है। इसलिए याचिका खारिज कि जाए।
याची कि अधिवक्ता श्रेया गुप्ता ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है लेकिन यह निर्बाध नहीं है युक्तियुक्त हस्तक्षेप किया जा सकता है। वर्तमान समय में मंदिर प्रबंधन के लिए कोई समिति नहीं है। प्रबंधन विवाद मथुरा की सिविल अदालत में विचार अधीन है।सिविल जज की निगरानी में व्यवस्था की जा रही है सरकार दर्शनार्थियों की सुरक्षा के कदम उठा सकती है।

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