ब्रह्मकुमारी आश्रम में रहने वाले दो सगी बहनों ने आत्महत्या कर ली है। दोनों के शव अलग- अलग फंदे पर टंगे मिले हैं। इससे पहले लिखे सुसाइड नोट में आश्रम से जुड़े तीन लोगों और एक महिला का काला चिट्ठा खोल दिया। इसमें रुपये हड़पने से लेकर अन्य अनैतिक गतिविधियों का पर्दाफाश किया गया है।
सुसाइड नोट्स में सीएम योगी आदित्यानाथ से गुहार लगाते हुए लिखा कि आरोपियों को आशाराम बापू की तरह ही आजीवन कारावास दिया जाए। सुसाइड नोट के तथ्यों के आधार पर पुलिस मामले की जांच कर रही है। जिन लोगों का सुसाइड नोट में नाम लिखा है, उनसे पुलिस पूछताछ करेगी।
बता दें जगनेर में शुक्रवार रात ब्रह्मकुमारीज आश्रम में दो सगी बहनों ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले दोनों ने सुसाइड नोट आश्रम के ग्रुप में भेजे थे। इसे देख स्वजन आनन-फानन में आश्रम पहुंचे। वहां दोनों बहनों के शव पंखों के हुक से साड़ी के फंदे पर लटके मिले। बहनों ने सुसाइड नोट में आश्रम के कर्मचारी नीरज सिंघल, उसके पिता, धौलपुर के ताराचंद और ग्वालियर की रहने वाली एक महिला समेत आश्रम के चार कर्मचारियों को अपनी मृत्यु का जिम्मेदार ठहराया है। उनके विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।
जगनेर कस्बा की रहने वाली 37 वर्षीय एकता और उनकी छोटी बहन 34 वर्षीय शिखा वर्ष 2005 में ब्रह्मकुमारीज आश्रम से जुड़ी थीं। चार वर्ष पहले जगनेर में बसई रोड पर ब्रह्मकुमारीज आश्रम बनने के बाद वहां रहने लगीं थी। आश्रम में एक अन्य युवती भी रहती है। एकता के भाई सोनू ने बताया कि शुक्रवार रात 11.18 बजे उनके वाट्सएप पर रूपवास ब्रह्मकुमारीज आश्रम की बहन ने सुसाइड नोट भेजा, फोन करके जानकारी दी।

इस पर वह भागकर घर से 13 किलोमीटर दूर आश्रम पहुंचे। यहां दोनों बहनों को फंदे से लटका पाया। दोनों बहनों ने अपने चार पेज के सुसाइड नोट नोट्स में 4 आश्रम कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला-पुरुषों के अवैध संबंधों के साथ ही आर्थिक अनियमितताओं के विषय में भी खुलकर बताया है। आरोप लगाए हैं कि अपनी ऊंची पहुंच का हवाला देकर दबंगई दिखाते हैं। कहतें है कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

ब्रह्मकुमारीज आश्रम जगनेर में रह रहीं एकता और शिखा ने चार पेज का सुसाइड नोट लिखा था। शिखा ने एक पेज पर ही अपनी पूरी बात लिख दी। जबकि एकता द्वारा लिखा गया सुसाइड नोट तीन पेज का था। शिखा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि दोनों बहनें एक वर्ष से परेशान थीं। उनकी मौत के लिए नीरज सिंघल, धौलपुर के ताराचंद, नीरज के पिता और ग्वालियर की एक जिम्मेदार है। शिखा ने अपने सुसाइड नोट में मौत के जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है।

एकता ने सुसाइड नोट में पूरे मामले का पर्दाफाश किया है। इसमें लिखा है- नीरज ने उनके साथ सेंटर में रहने का आश्वासन दिया था। सेंटर बनने के बाद उसने बात करना बंद कर दिया। एक साल से हम बहनें रोती रहीं। नीरज का साथ उसके पिता, ग्वालियर आश्रम में रहने वाली महिला और ताराचंद ने दिया। पंद्रह साल तक साथ रहने के बाद भी ग्वालियर वाली महिला से संबंध बनाता रहा। इन चारों ने हमारे साथ गद्दारी की है। उनके पिता ने सात लाख रुपये प्लाट के लिए दिए थे। ये रुपये उन्होंने आश्रम से जुड़े व्यक्ति को दिए थे।

इसके साथ ही गरीब माताओं के 18 लाख रुपये उसी व्यक्ति ने हड़प लिए। सेंटर के नाम पर 25 लाख रुपये हड़प लिए। इसके बाद ये लोग सेंटर बनवाने की अफवाह फैलाते हैं। इन लोगों के ग्वालियर की एक महिला से अवैध संबंध हैं। यज्ञ में बैठने लायक भी ये लोग नहीं हैं। धन हड़पने और अनैतिक कार्य करने वाले लोग दबंगई दिखाते हैं और अपनी पहुंच का भय दिखाकर कहते हैं कि उनका कोई कुछ नहीं कर सकता है।

एकता ने लिखा है कि योगी जी, इनको आसाराम बापू की तरह आजीवन कारावास होना चाहिए। इन लोगों ने हमारे साथ तो गलत नहीं किया, लेकिन बहुतों के साथ किया है। किसी से पैसे लाते हैं, उसी पर केस कर देते हैं। आश्रम से जुड़े एक व्यक्ति ने पहले साथ देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब वह फोन नहीं उठा रहा है। सुसाइड नोट में एकता ने यह भी लिखा कि यह लेटर मुन्नी बहन जी और मृत्युंजय भाई साहब के पास पहुंच जाए। सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों की पुलिस जांच कर रही है।

डीसीपी सोनम कुमार मौके पर पहुंच गए। भाई सोनू ने पुलिस को बताया कि वह दो दिन पहले आश्रम में बहनों से मिलने आए थे। उस समय उनकी बातचीत से ऐसा कुछ नहीं लगा कि वह इस तरह का कोई कदम उठा सकती हैं। डीसीपी ने बताया एकता और शिखा ने सुसाइड नोट में आश्रम के कुछ कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सुसाइड नोट और स्वजन की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। मामले में प्रजापिता ब्रह्मकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय के आगरा जोनल आफिस में संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। न ही जगनेर सेंटर पर किसी ने फोन उठाया।

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