जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।। त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।। सूर्य देव ऐसे देवता हैं, जो नियमित रूप से अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इसकी पूजा – पाठ से भक्तों के सारे दुख दूर होते हैं। सूर्य देव का दिन रविवार का होता है। ज़्यादातर लोग सूर्य देव को खुश करने के लिए रविवार के दिन पूजा – पाठ करते हैं और उन्हें जल देते हैं। इस दिन इनकी पूजा-आराधना का विशेष महत्व है। सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए मात्र एक लोटा जल ही काफी है, बल्कि इन्हें खुश करने के लिए हर रविवार को सूर्य स्तुति का पाठ करना चाहिए। इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और आपकी कई समस्याओं से आपको छुटकारा दिलाते हैं। इसके साथ ही स स्तुति से मान-सम्मान में वृद्धि, नौकरी में तरक्की और अनेक सफलता के द्वार खुल जाते हैं। ध्यान रहे कि इस स्तुति का पाठ जितनी सुबह करेंगे, इसके परिणाम उतने ही अच्छे देखने को मिलेंगे। तो आइए पढ़ते हैं सूर्य स्तुति का पाठ ।
श्री सूर्य स्तुति
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।
त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।