लखनऊ। विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बहुजन समाज पार्टी ने अपने अपने मूल मतदाताओं दलितों, मुस्लिमों और पिछड़ों की रणानीति पर काम शुरू कर दिया है। निकाय चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जमकर मुस्लिम कार्ड चला है। सोमवार को दूसरे चरण के नामांकन के लिए घोषित सात मेयर प्रत्याशियों में पांच मुस्लिम उतारे हैं, जबकि प्रथम चरण में छह मुस्लिम प्रत्याशी उतार चुकी है। इस प्रकार कुल 17 नगर निगम में 11 मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर मुस्लिम मतदाताओं को हमदर्द होने का संदेश दिया है।
बसपा ने निकाय चुनाव में अधिकांश सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों को उतार कर मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में लाने का प्रयास किया है। वहीं सपा ने 17 में केवल चार मुस्लिम प्रत्याशी ही मैदान में उतारे हैं।
बसपा महासचिव मेवालाल गौतम ने बताया कि कानपुर से अर्चना निषाद, मेरठ से हसमत अली, शाहजहांपुर से शागुफ्ता अंजुम, आयोध्या से राममूर्ति यादव, गाजियाबाद से निसारा खान, अलीगढ़ से सलमान साहिद और बरेली से यूसुफ खान मेयर उम्मीदवार हैं। पहले चरण में बसपा, लखनऊ, मथुरा, फिरोजाबाद, सहारनपुर, प्रयागराज व मुरादाबाद में मुस्लिम प्रत्याशी उतार चुकी है।
सिर्फ मुस्लिम कार्ड ही नहीं बसपा ने अपने पुराने नेताओं को भी इस चुनाव में सम्मान दिया है। बसपा ने चार जगहों पर पुराने नेताओं को प्रत्याशी बनाया है जिसमें आगरा, झांसी, कानपुर और अयोध्या की मेयर सीटों पर बसपा ने पुराने नेताओं पर भरोसा जताया है। भगवान दास फुले, जिन्होंने पार्टी के संस्थापक दिवंगत कांशीराम के साथ काम किया है साथ ही पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी महासंघ (BAMCEF) में समन्वयक के रूप में कार्य किया है। झांसी से बसपा के महापौर पद के लिए चुने गए हैं। फुले बसपा के वोट आधार दलितों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
आगरा में पार्टी ने दलित लता वाल्मीकि को मैदान में उतारा है। वह लंबे समय तक बसपा और बामसेफ से भी जुड़ी रही हैं। कानपुर के राम नारायण निषाद जैसे अन्य पुराने सदस्यों के मामले में, जो 1990 के दशक से पार्टी से जुड़े हुए हैं, यह उनके परिवार के सदस्य हैं जिन पर पार्टी ने मेयर चुनाव में दांव लगाया है। उनकी पत्नी अर्चना निषाद कानपुर से बसपा की मेयर प्रत्याशी हैं। अर्चना पिछड़ी जाति से आती हैं।