लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी मिल गई है। यह बिल आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में इस बिल के पारित होने के बाद महिलाओं को लोकसभा व विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा। इस बिल को लेकर उद्धव ठाकरे गुट के शिवसेना सांसद संजय राउत ने केंद्र सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा, हमारा रुख अलग होने के बाद भी हमने संसद में इस बिल का समर्थन किया। राउत ने कहा कि बेहतर होता कि महिला आरक्षण की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों को दी जाती। क्योकि महिला आरक्षण बिल के लागू होने के कारण कुछ बड़े नेता कभी भी संसद में नजर नहीं आएंगे। संजय राउत ने दावा किया है कि केंद्र सरकार इसके लिए कुछ भी कर सकती है।


लोकसभा में बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मजाक करते हुए कहा था कि अगर कल को वायनाड सीट (जहां से राहुल गांधी सांसद है) महिलाओं के लिए आरक्षित हो गया तो आप हम पर आरोप लगाओगे। सही कहें तो आप कुछ भी कर सकते हैं… चुनाव आयोग आपके हाथ में है… आप यह भी कर सकते हैं। दोनों सदनों के कई नेता सदन में दोबारा निर्वाचित नहीं होंगे। या फिर उनको आने से रोकने के लिए ये बिल जल्दबाजी में लाया गया है। विपक्षी दलों में कई प्रमुख नेता हैं। उन्हें इस विधेयक के जरिये सदन में निर्वाचित होकर आने नहीं दिया जाएगा। राउत ने कहा, फिर भी हमने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन किया है।

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने आगे कहा, केवल लोकसभा और विधानसभाओं में महिला विधायकों और सांसदों की संख्या बढ़ाने से महिला सशक्तिकरण नहीं होगा। सवाल महिलाओं को सम्मान और प्रतिष्ठा देने का है। अगर देश के राष्ट्रपति पद पर विराजमान एक महिला का सम्मान नहीं है, तो सांसदों और विधायकों की संख्या बढ़ाकर आप महिलाओं के लिए क्या हासिल करेंगे? राष्ट्रपति संसद का संरक्षक होता है। लेकिन उसी राष्ट्रपति को सदन के उद्घाटन में नहीं बुलाया गया, क्या यह महिलाओं का अपमान नहीं है?

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