किशोरों में खाने और आचरण की आदतें चिंताजनक रूप से बिगड़ रही हैं। 44 यूरोपीय और मध्य एशियाई देशों पर किए गए अध्ययन में डब्ल्यूएचओ ने पाया है कि आधे से ज्यादा 15 वर्ष के किशोर रोजाना फल और सब्जियां नहीं खा रहे। ‘स्कूली उम्र के बच्चों में सेहतमंद आदतें’ नामक इस अध्ययन में कहा गया है कि बच्चों में एक तरफ हरी सब्जियां खाने का चलन कम हुआ है दूसरी तरफ उनमें शुगरी फूड (मीठे पेय और खाद्य पदार्थ) खाने का चाव बढ़ा है। इसके साथ ही किशोरों में रोजाना शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वाली गतिविधियां (सामान्य या कठिन शारीरिक सक्रियता या एमवीपीए) भी काफी कम हुई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ 25 फीसदी लड़के और 15 फीसदी लड़कियां ही 60 मिनट तक शारीरिक सक्रियता वाली गतिविधियों में रोजाना शामिल हुए। सिर्फ 60 फीसदी किशोर ही डब्ल्यूएचओ मानकों के अनुसार सप्ताह में कम से कम तीन बार कठिन शारीरिक गतिविधियों में शामिल हुए। चार में से हर एक किशोर शारीरिक रूप से बेहद कम सक्रिय पाया गया, जिसन सप्ताह में या तो कोई सामान्य शरीरिक गतिविधि भी नहीं की या फिर अधिकतम दो दिन ऐसी गतिविधियों में शामिल हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार किशोरों में भले ही हरी सब्जियां खाने का चलन कम हुआ हो पर 25 प्रतिशत किशोर प्रतिदिन मिठाई या चॉकलेट खा रहे हैं। यह दर लड़कों (23 प्रतिशत) की तुलना में लड़कियों (28 प्रतिशत) में अधिक है। इसमें 2018 की तुलना में बढ़ोतरी देखी गई है। 11 साल की लड़कियों के लिए यह मिठाई सेवन 23 प्रतिशत से बढ़कर 27 प्रतिशत और 15 साल की लड़कियों के लिए 26 प्रतिशत से बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया है। रिपोर्ट में किशोरों में अधिक वजन और मोटापे की दर में चिंताजनक वृद्धि का भी खुलासा किया गया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार मोटे बच्चों और किशोरों की संख्या 1990 में 3.1 करोड़ से बढ़कर 2022 में 16 करोड़ हो गई है।
डब्ल्यूएचओ की मानें तो कोविड के बाद विशेषकर बच्चों में स्क्रीन टाइम बढ़ा है और शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने का समय कम हुआ है। डब्ल्यूएचओ ने इस संबंध में 17 देशों में किए गए एक अध्ययन में पिछले सप्ताह ही पाया था कि 36 फीसदी बच्चों का स्क्रीन टाइम (टीवी देखना, ऑनलाइन गेम खेलना और सोशल मीडिया का प्रयोग) बढ़ा है। जबकि 28 फीसदी बच्चों में आउटडोर गतिविधियां कम हुई हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 42 फीसदी बच्चों में खुशी का स्तर घटा है।
रिपोर्ट में कहा गया है मोटापा और कम शारीरिक सक्रियता किशोरों में अनेक प्रकार के गैर-संचारी रोगों का जोखिम पैदा करती है, जिनमें हृदय रोग, डायबिटीज और कैंसर जैसे जानलेवा रोग भी शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य संबंधी यह समस्याएं गरीब परिवारों के किशोरों को ज्यादा चपेट में ले रही हैं, क्योंकि ये तमाम किस्म के अभावों के दुष्चक्र का शिकार हो रहे हैं।
हाल में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय पोषण संस्थान ने कहा था कि भारत में 5-9 साल की उम्र के 34 फीसदी बच्चे हाई ट्राइग्लिसराइड्स (खराब कैलोस्ट्रोल की अधिकता) से पीड़ित हैं। इससे उनकी नसों में जकड़न बढ़ती है। राष्ट्रीय पोषण संस्थान के अनुसार, एक संतुलित आहार में अनाज और बाजरा से 45 फीसदी से ज्यादा कैलोरी ऊर्जा मिलनी चाहिए। दालों, बीन्स और मांस से 15 फीसदी ज्यादा तक कैलोरी नहीं मिलनी चाहिए। शेष कैलोरी नट्स, सब्जियों, फलों और दूध से आनी चाहिए। संस्थान ने कहा है कि भारत में लगभग 56 प्रतिशत बीमारियां अस्वास्थ्यकर आहार यानी अनहेल्दी डाइट के कारण होती हैं।