निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री डॉ संजय निषाद ने कहा कि प्रदेश में मछुआ समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए केंद्र व प्रदेश की डबल इंजन की सरकार विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं को संचालन कर रही है, जिसका प्रदेश में मछुआ समाज को सीधे तौर पर लाभ मिल रहा है। जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, प्रधानमंत्री मछुआ दुर्घटना बिमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड (मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए), मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मत्स्य पालक कल्याण कोष, निषाद राज बोट योजना समेत अन्य योजनाएं प्रदेश में संचालित हैं। डॉ संजय कुमार निषाद ने बुधवार को अपने आवास पर प्रेसवार्ता कर ये बातें कही।
संजय निषाद ने राहुल गांधी के लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने पर कहा कि यह बहुत जिम्मेदार पद होता है। अगर कांग्रेस पार्टी ने उनको यह पद दिया है तो राहुल गांधी को इस पद का सम्मान करना चाहिए। मैं समझता हूं कि राहुल गांधी अपनी बचकानी हरकतों से इस पद को भी हास्यास्पद बना देंगे। देश की संसद में जय निषाद राज गूंजने पर मत्स्य मंत्री श्री निषाद ने कहा कि मेरे जीवन के लिए यह सबसे गौरवमय क्षण था कि जिस नारे को मेरे द्वारा व निषाद पार्टी द्वारा देशभर में बताया गया, बढ़ाया गया। आज वह नारा विपक्ष के सांसद और समकक्ष सांसद सदन में लगा रहे हैं।

मछुआ आरक्षण के विषय पर संजय निषाद ने कहा कि में पक्ष और विपक्ष के सभी निषाद सांसदों से एक आह्वान करना चाहता हूं कि उनको सदन में आरक्षण के विषय पर अपनी आवाज उठानी चाहिए। खासकर के समाजवादी पार्टी के जीते हुए निषाद सांसदों से कि वह सदन में निषाद समाज की आवाज़ उठाएं और आरक्षण के विषय पर केंद्र सरकार से अपनी मांग रखें। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो समाज के बीच में जाकर मछुआ एससी आरक्षण के मुद्दे पर घड़ियाली आंसू ना रोयें।

लोकसभा स्पीकर के चुनाव पर संजय निषाद ने लोकसभा अध्यक्ष के पद पर एनडीए प्रत्याशी की विजयी होने पर उनको बधाई देते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में पिछले 05 साल सदन सुचारू रूप से चला है और फिर से वो इतिहास रचने जा रहे हैं। उनके सफल कार्यकाल की हम कामना करते हैं। उन्होंने कहा कि जब एनडीए के पक्ष में संख्या बल है तब ही प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार बनी है, विपक्ष संविधान की किताब लेकर सदन में आया है। मुझे यह लगता है कि वह संविधान का मजाक बनाने पर तुले हैं। जब देश में आज तक स्पीकर के चयन को लेकर चुनाव नहीं हुए हैं तो विपक्ष को भी स्पीकर के मामले पर सत्ता पक्ष का साथ देना चाहिए था क्योंकि स्पीकर किसी पक्ष और विपक्ष का नहीं होता है वह सदन का होता है। वह निष्पक्ष होता है, किंतु विपक्ष को संविधान की मूल भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना है और वह नित्य नए काम करता रहता है।

 

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