ईद-उल-अजहा की पूर्व संध्या पर शनिवार को श्रीनगर और कश्मीर के अन्य शहरों एवं कस्बों में खरीदारी के लिए आने वाले लोगों की संख्या सामान्य से ज्यादा थी, लेकिन इस बार पारंपरिक खरीदारी और बिक्री का माहौल नहीं दिखा।
श्रीनगर के ईदगाह क्षेत्र और अन्य स्थानों पर कुर्बानी के पशुओं के बाजारों में भी व्यापारिक गतिविधियां कम रहीं। सोमवार को ईद का त्योहार है। इसके लिए लोग मार्केट में सामान खरीदते देखे गए। सबसे ज्यादा मांग बेकरी, पोल्ट्री, सब्जियां, कपड़े, खिलौने और पटाखों की दुकानों में रही।
श्रीनगर और घाटी के अन्य जिलों की सड़कों और हाईवे पर ट्रैफिक की आवाजाही सामान्य से ज्यादा रही। लोग त्योहार मनाने के लिए जरूरी सामान खरीदने के लिए घरों से बाहर निकले।
दुनिया भर के मुसलमान ईद-उल-अजहा पर पैगंबर हजरत इब्राहिम की ओर से की गई ऐतिहासिक कुर्बानी की याद में जानवरों की कुर्बानी देते हैं। पैगंबर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम अल्लाह के प्यारे और करीबी थे। उनके बेटा का नाम इस्माइल था।
पैगंबर इब्राहिम ने ख्वाब में देखा कि अपने बेटे इस्माइल को जिबह (हलाल) कर रहे हैं। यह ख्वाब उन्होंने कई दिन देखा। इसके बाद वह समझ गए कि अल्लाह चाहता है कि वह अपने प्यारे बेटे इस्माइल की कुर्बानी दें।
इसके बाद वह अगले दिन जान से प्यारे अपने बेटे को कुर्बानी के लिए सुनसान जगह पर लेकर पहुंचे। जब पैगंबर इब्राहिम आंखों पर पट्टी बांधकर अपने बेटे की कुर्बानी की कोशिश कर रहे थे, तभी अल्लाह ने दुंबा पेश किया। उनके बेटे की जगह दुंबा जिबह हो गया। तभी से जानवरों की कुर्बानी की जा रही है।
तब से ही मुसलमान ईद-उल-अजहा पर पशुओं को जिबह करते हैं। यह पवित्र हज यात्रा के समापन का भी प्रतीक है।
घाटी के पशु बाजारों में खरीदने और बेचने वालों के बीच काफी सौदेबाजी चल रही थी। कई जानवरों को बेचने वालों का कहना है कि उन्हें अपनी भेड़-बकरियों का उचित रिटर्न नहीं मिल रहा है।
पशु व्यापारी मुश्ताक बिजर्ड ने बताया, “उन्होंने जम्मू डिवीजन के राजौरी जिले से बकरियों और भेड़ों को खरीदा था और यहां उन्हें इसे बेचने में दिक्कत आ रही है।”
बिजर्ड ने कहा, “मुझे डर है कि ज्यादातर बकरियों और भेड़ों को राजौरी वापस ले जाना पड़ सकता है। ऐसा लगता है मुझे पर्याप्त खरीदार नहीं मिल पाएंगे। इससे मुझे और ज़्यादा खर्च उठाना पड़ेगा, क्योंकि खरीदार मेरी ज़रूरत के हिसाब से सही कीमत नहीं दे रहे हैं।”
शनिवार को बाजार में कम चहल-पहल के बावजूद बेकरी की दुकानों पर अभी भी अच्छा कारोबार चल रहा था, जबकि इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, मोबाइल फोन, फ्रिज, टीवी और वॉशिंग मशीन बेचने वाली दुकानें ईद की खरीदारी पर छूट की घोषणा के बावजूद खरीदारों की कमी की शिकायत कर रही हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है, “वे ईद की पूर्व संध्या पर केक, पेस्ट्री और कुकीज़ जैसी बेकरी की चीज़ें खरीदने से नहीं बच सकते। बच्चे हमेशा ईद के त्यौहार के आसपास इन खाद्य पदार्थों का इंतज़ार करते हैं।”
वरिष्ठ स्थानीय पत्रकार आसिफ ने कहा, “मैं इस साल जानवरों की कुर्बानी नहीं दे सकता, लेकिन मेरे बेटे को क्रीम केक पसंद है, जो ईद के दिन सबसे पहले मेज पर होना चाहिए। इसलिए इन्हें खरीदना ईद के त्यौहार पर फिजूलखर्ची का संकेत नहीं है।”
अधिकारियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए बाजार-जांच दल तैनात किए हैं ताकि बेईमान व्यापारी ग्राहकों से ज्यादा पैसे न वसूल सकें।
सोमवार को विभिन्न मस्जिदों और ईदगाहों में ईद की नमाज अदा की जाएगी।
अधिकारियों ने घाटी और जम्मू डिवीजन में बड़ी मस्जिदों और ईदगाहों के आसपास सफाई, सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा की व्यवस्था की है।
कश्मीरी ईद की पूर्व संध्या पर चाहे कम संख्या में खरीदारी करें या बड़ी संख्या में, इस त्योहार का जश्न अभी से ही मनाया जा रहा है।