बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में चल रहे विश्वविद्यालय स्तरीय एकीकरण शिविर के तीसरे दिन नशा मुक्ति जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न वक्ताओं ने युवाओं को नशा मुक्ति का संदेश दिया और रील लाइफ से दूर रहकर रियल लाइफ से जुड़ने का आह्वान किया। साथ ही जानकारों ने फास्ट फूड को भी नशा बताया।
कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ. सुधा शर्मा ने कहा कि तंबाकू, शराब और ड्रग्स की तरह मोबाइल भी एक प्रकार का नशा है। हमें इस पर भी काम करने की जरूरत है। युवाओं को रील लाइफ को छोड़कर रियल लाइफ से जुड़ना जरुरी है। पढ़ाई के साथ लाइफ स्किल्स पर भी काम करना है। युवाओं को किताबों के साथ ही बुजुर्गों से भी जुड़ना चाहिए। उनके अनुभवों से सीखना चाहिए।
सिफ्सा के मंडलीय परियोजना अधिकारी आनंद चौबे ने कहा कि मोबाइल और नशे के बाद नींद बहुत ही खतरनाक बीमारी की तरह उभर कर आई है। हमें अपनी दिनचर्या को सुधारने की जरूरत है। नशे से दूर होने के लिए किताबें अच्छा माध्यम हो सकती हैं।
अनिरुद्ध रावत ने कहा कि अगर आप किताब खरीद कर नहीं पढ़ते हैं तो लेखक की मेहनत का अपमान कर रहे हैं। डॉ. संतोष पांडेय ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप जैसे हैं वैसे ही बहुत अच्छे हैं आप जैसा दूसरा कोई व्यक्तित्व नहीं हैं। अगर आपको कभी लगे की आप अकेले हो गए हैं तो किताबों से दोस्ती कर लीजिए। इससे आप नशे से बचेंगे और अपने दोस्तों को भी बचा सकेंगे।
डॉ. शुभांगी निगम ने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए फास्ट फूड के नशे से भी दूर रहना होगा।
राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यकारी समन्वयक प्रो. मुन्ना तिवारी ने कहा कि एनएसएस लगातार समाज में फैली कुरीतियों के विरुद्ध लोगों को जागरूक करता रहता है।
कार्यक्रम के अंत में नीरज एंड पार्टी ने लोकगीतों के माध्यम से लोगों का मनोरंजन किया।
इस अवसर पर डॉ अचला पाण्डेय, डॉ सुनीता वर्मा, डॉ सुधा दिक्षित, डॉ विपिन प्रसाद, नवीन चंद पटेल, डॉ प्रेमलता श्रीवास्तव, द्युती मालिनी, अकांक्षा सिंह, अजय शंकर तिवारी, शिवम शर्मा, विशाल, मनीष समेत बड़ी संख्या में स्वयंसेवक मौजूद रहे।

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