प्रसिद्ध मराठी कवि और गीतकार नामदेव धोंडो महानोर का बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों के कारण बृहस्पतिवार सुबह पुणे के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे।
उनके पोते शशिकांत महानोर ने बताया कि नामदेव महानोर पिछले कुछ दिन से यहां रुबी हॉल क्लीनिक में भर्ती थे तथा वेंटिलेटर पर थे।
वह ना धो महानोर के नाम भी जाने जाते थे। उनका जन्म 1942 में हुआ और उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वह राज्य विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं।
उन्होंने ‘जगाला प्रेम अर्पावे’, ‘गंगा वाहू दे निर्मल’ और ‘दिवेलागणीची वेल’ समेत कई मशहूर कविताएं तथा गीत लिखे तथा ‘एक होता विदुषक’, ‘जैत रे जैत’, ‘सर्जा’ तथा अन्य मराठी फिल्मों के लिए गीत भी लिखे।
उनके परिवार में दो बेटे तथा तीन बेटियां हैं।
परिवार के एक सदस्य ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार औरंगाबाद जिले में उनके पैतृक स्थान पलासखेड़ा में किया जाएगा।