प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कानूनी पेशे से युवा प्रतिभाओं के पलायन पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि उनकी वित्तीय एवं सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि युवा वकीलों के लिए उनके करियर के शुरुआती कुछ वर्षों में न्यूनतम पारिश्रमिक मानक बनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘युवा प्रतिभाओं का कानूनी पेशे से पलायन केवल व्यक्तिगत पसंद का मामला नहीं है, बल्कि यह संरचनात्मक मुद्दों का लक्षण है, जैसे कि इस पेशे में, विशेष रूप से पहली पीढ़ी के वकीलों के लिए, वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा का अभाव है।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जनता की सेवा के लिए समर्पित युवा वकीलों के समुदाय को आकर्षित करने के वास्ते हमें इस पेशे को अधिक अनुकूल स्थान बनाने, प्रवेश स्तर की बाधाओं को दूर करने और समर्थन को बढ़ावा देने की दिशा में काम करना चाहिए।’’ न्यायमूर्ति खन्ना ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में युवा वकीलों को मानदेय देने की भारतीय विधिज्ञ परिषद की हाल की सिफारिश की सराहना की।