प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरा बने हुए हैं और किसी भी आतंकवादी कृत्य को किसी भी आधार पर जायज नहीं ठहराया जा सकता। बुधवार को जारी एक संयुक्त बयान में यह जानकारी दी गई। बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने अन्य देशों के खिलाफ आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए मिसाइल और ड्रोन सहित अन्य हथियारों तक पहुंच बाधित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर किए गए आतंकवादी हमले के बाद मोदी ने सऊदी अरब की अपनी दो-दिवसीय यात्रा को बीच में ही समाप्त कर दिया और मंगलवार रात नयी दिल्ली के लिए रवाना हो गए। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। प्रधानमंत्री का पहले बुधवार रात भारत लौटने का कार्यक्रम था।

बयान के अनुसार, “दोनों पक्षों ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। हमले के मद्देनजर दोनों पक्षों ने आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ के सभी स्वरूपों की निंदा की और इस बात पर जोर दिया कि यह मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक बना हुआ है। उन्होंने कहा कि किसी भी आतंकवादी कृत्य को किसी भी आधार पर जायज नहीं ठहराया जा सकता।” बयान के मुताबिक, “दोनों पक्षों ने आतंकवाद को किसी विशेष जाति, धर्म या संस्कृति से जोड़ने के किसी भी प्रयास को खारिज कर दिया।

उन्होंने आतंकवाद और इसके वित्तपोषण के खिलाफ दोनों पक्षों के बीच उत्कृष्ट सहयोग का स्वागत किया।” बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने सीमापार आतंकवाद की निंदा की और सभी देशों से दूसरे देशों के खिलाफ आतंकवाद के इस्तेमाल को अस्वीकार करने, आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने तथा आतंकवादी कृत्यों के गुनाहगारों को जल्द न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया। इसमें कहा गया है, “दोनों पक्षों ने अन्य देशों के खिलाफ आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए मिसाइल और ड्रोन सहित अन्य हथियारों तक पहुंच बाधित करने की आवश्यकता पर बल दिया।” 

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