प्रदेश में मोहर्रम पर शांति के लिए प्रशासनिक और पुलिस विभाग के अफसरों ने कमर कसी है। इसी कड़ी में प्रतापगढ़ जिले के कुंडा विधानसभा में मोहर्रम पर पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह के पिता उदय प्रताप सिंह सहित 13 लोगों को नजरबंद किया गया है। ये सभी लोग शनिवार रात तक पुलिस की निगरानी में रहेंगे। भदरी महल के बाहर भारी संख्या में पुलिस का पहरा है। शुक्रवार को पुलिस ने बाइक रैली निकालकर गली गली में घूमकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया।
जिन 13 लोगों को नजरबंद किया है उनमें जितेंद्र सिंह, आनंदपाल, रमाशंकर मिश्र, भवानी विश्वकर्मा, रवि सिंह, हनुमान प्रसाद पांडेय, केसरी नंदन पांडेय जमुना मौर्या, निर्भय सिंह, गया प्रसाद प्रजापति, मोहनलाल, जुगनू विश्वकर्मा का नाम शामिल है।
राजा भइया के पिता हर साल मोहर्रम के दिन शेखपुर में बन्दर की बरसी मनाने और भंडारा करने पर अड़ जाते है। पिछले साल वह कुंडा तहसील परिसर में धरने पर बैठ गए थे। इसी को देखते हुए प्रशासन लगातार उदय प्रताप सिंह से संपर्क साध रहा है। इसके मद्देनजर इस दिन पुलिस खास अलर्ट रहती है।
बता दें कि प्रयागराज-लखनऊ हाईवे पर कुंडा का शेखपुर आशिक गांव में मोहर्रम में बवाल की आशंका के चलते पुलिस फोर्स तैनात कर दी जाता है। यहां पर साल 2013 में विवाद हुआ था, इसलिए अब ऐसा न हो इसलिए पुलिस तैनात की गई है। इसी को देखते हुए शनिवार को शेखपुर आशिक गांव के पास हनुमान मंदिर में केवल पुरोहित को ही पूजन करने की अनुमति दी गई है। वहां अन्य किसी प्रकार के आयोजन की मनाही है।
इसी दिन यानी शनिवार को शेखपुर आशिक गांव से ताजिया का जुलूस निकलेगा। इसके पहले गांव के आसपास पीएसी के 100 जवान, कुंडा, नवाबगंज, हथिगवां , बाघराय, मानिकपुर, संग्रामगढ़ थाने की पुलिस व कौशाम्बी के पुलिसकर्मियों को बुलाकर तैनात किया गया है। जिन लोगों को नजरबंद बनाया गया है। उनको लेकर पुलिस का कहना है कि इन लोगों के हर क्रियाकलाप पर नजर रखी जा रही है। यह लोग शुक्रवार शाम 5:30 बजे से शनिवार की रात 9:30 बजे तक निगरानी में रहेंगे।
दरअसल कुछ साल पहले यानी जिस दिन ताजिसा का जुलूस निकलता है, उसी दिन प्रयागराज अयोध्या हाइवे पर स्थित शेखपुर गांव के पास एक बंदर की गोली लगने से मौत हो गई थी। इसके बाद वहां पर हनुमान मंदिर बनाई गई और मौहर्रम के दिन लोग बंदर की पुण्यतिथि मनाने लगे। राजा भैया के पिता मोहर्रम के दिन भंडारा कराने का निर्णय किया। इस मामले में अदालत के आदेश पर काननू – व्यवस्था खराब न हो, इसका ध्यान रखता हुए जुलूस को निकालने की अनुमति है।