संसद की लोकसभा में सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक 2024 है। चंद दिनों बाद यह कानून बन जाएगा। इसके बाद अगर कोई भी व्यक्ति या फिर संस्था परीक्षाओं में नकल कराते हुए पकड़ी जाती है तो उस पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगेगा और उसे 10 साल तक की जेल भी हो सकती है।
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस मामले में साफ किया है कि इस दायरे में परीक्षा के अभ्यर्थी या विद्यार्थी नहीं आते हैं। यह कानून सिर्फ उन लोगों के लिए है जो इस परीक्षा प्रणाली के साथ छेड़छाड़ करते हैं। इसके मायने यह हैं कि मोदी सरकार ने नकल करने से ज्यादा नकल करवाने वालों की नकेल कसी है।
लोकसभा में केंद्रीय मंत्री के जवाब के बाद इस नकल विरोधी विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। जितेंद्र सिंह ने यह भी का कहा परीक्षा रद्द होने पर पुनर्परीक्षा के लिए समय-सीमा को तय नहीं किया जा सकता है। इस विधेयक के दायरे में यूपीएससी, एसएससी, रेलवे, बैंकिंग और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी की ओर से आयोजित सभी कम्प्यूटर आधारित परीक्षाएं आएंगी।

विधेयक में प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी का लीक होना, सार्वजनिक परीक्षा में अनधिकृत रूप से किसी भी तरीके से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उम्मीदवार की सहायता करना और कंप्यूटर नेटवर्क या कंप्यूटर संसाधन या कंप्यूटर सिस्टम के साथ छेड़छाड़ करना पेपर लीक माना जाएगा।

विधेयक में न्यूनतम सजा तीन से पांच साल की है लेकिन अगर कोई इस काम को गिरोह बनाकर कर रहा है तो ऐसी दशा में ये सजा पांच से 10 साल तक की हो जाएगा। इसमें जुर्माना भी एक करोड़ रुपए लगाया जाएगा।

लोकसभा में लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक 2024 में पास हो गया। अब इसे राज्यसभाा में रखा जाएगा। यहां पारित होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के लिए भेज दिया जाएगा। वहां से अधिसूचना जारी होते ही यह कानून बन जाएगा।

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