मुजफ्फरनगर के भाजपा नेता और पूर्व विधायक उमेश मलिक पर आचार संहिता उल्लंघन के मामले में सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट इस मामले में 4 जुलाई को फैसला सुनाएगा। भाजपा नेता उमेश मलिक को पार्टी ने 2017 विधानसभा चुनाव में बुढ़ाना सीट से प्रत्याशी घोषित किया था। विधानसभा चुनाव नामांकन के दौरान भाजपा प्रत्याशी पर थाना सिविल लाइन पुलिस ने आचार संहिता उल्लंघन का मुकदमा दर्ज कराया था।
21 जनवरी 2017 को भाजपा प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ नामांकन करने के लिए महावीर चौक से प्रकाश चौक होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। इस दौरान पुलिस ने समर्थकों को किसी तरह रोका। आरोप था कि भाजपा प्रत्याशी उमेश मलिक नामांकन के बाद फिर से समर्थकों के साथ जुलूस के रूप में वापस लौट गए।
थाना सिविल लाइन के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक नीरज सिंह ने उमेश मलिक के विरुद्ध आचार संहिता उल्लंघन का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने विवेचना कर उनके विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया था। मामले की सुनवाई विशेष एमपी एमएलए कोर्ट सिविल जज सीनियर डिवीजन में हुई। कोर्ट में दोनों पक्ष की सुनवाई पूरी हो गई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता श्यामवीर सिंह एडवोकेट ने बताया कि कोर्ट इस मामले में 4 जुलाई को फैसला सुनाएगा।
वर्ष 2023 के दौरान भाजपा के पूर्व विधायक उमेश मलिक को 2 मुकदमों से राहत मिल चुकी है। 10 अगस्त 2006 को थाना सिखेड़ा में संगीन आरोपों में दर्ज अल्लूर मीट प्लांट में हुई तोड़फोड़ और हंगामा मुकदमे में उमेश मलिक को कोर्ट ने 17 जनवरी 2023 को बरी कर दिया था। जबकि 7 जून को कोर्ट ने उमेश मलिक को 2012 विधानसभा चुनाव में आचार संहिता उल्लंघन के मुकदमे में राहत देते हुए बरी कर दिया था।