मुजफ्फरनगर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने भाजपा के पूर्व विधायक उमेश मलिक को आचार संहिता उल्लंघन का दोषी माना है। कोर्ट ने उन्हें दोषी करार देते हुए 1000 का जुर्माना लगाया है। 2017 में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन करने पहुंचे उमेश मलिक पर धारा-144 के उल्लंघन का आरोप लगा था। उनके विरुद्ध सिटी मजिस्ट्रेट ने कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया था।

मुजफ्फरनगर 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा नेता उमेश मलिक को पार्टी ने बुढ़ाना से प्रत्याशी बनाया था। उमेश मलिक समर्थकों के साथ 21 जनवरी 2017 को नामांकन करने कचहरी पहुंचे थे। 22 जनवरी को थाना सिविल लाइन पुलिस ने पूर्व विधायक उमेश मलिक के विरुद्ध निषेधाज्ञा उल्लंघन के मामले में मुकदमा दर्ज किया था, लेकिन विवेचक ने कुछ दिन बाद ही संबंधित मामले में पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज न करने की बाध्यता की बात कहते हुए मामला बंद कर दिया था।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता श्यामवीर सिंह ने बताया की घटना के लगभग 1 वर्ष बाद इस मामले में तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट मोहम्मद नईम की ओर से पूर्व विधायक उमेश मलिक के विरुद्ध कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया गया था। उन्होंने बताया कि मामले की सुनवाई विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट सिविल जज सीनियर डिविजन मयंक जायसवाल ने की। एडवोकेट श्यामवीर सिंह ने बताया कि सुनवाई उपरांत कोर्ट ने पूर्व विधायक को निषेधाज्ञा उल्लंघन का दोषी मानते हुए उन पर 1000 रुपए का जुर्माना लगाया है।

एडवोकेट श्यामवीर सिंह ने बताया कि कोर्ट में पूर्व विधायक के विरुद्ध तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट मोहम्मद नईम की ओर से 18 जनवरी 2018 को परिवाद दर्ज कराया गया था। उन्होंने दावा किया कि जबकि इससे पहले ही तत्कालीन सिटी मोहम्मद नईम का 30 जून 2017 को रिटायरमेंट हो चुके थे। उन्होंने इस मामले में सिटी मजिस्ट्रेट के पेशकार रहे ओमवीर सिंह का बयान भी कोर्ट में कराया था। रिटायरमेंट के कुछ दिन बाद तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट मोहम्मद नईम का देहांत हो गया था।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights