तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की ‘सनातन धर्म’ पर की गई टिप्पणी को खारिज करते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने कहा है कि पूरे देश में गुस्सा भड़काना ठीक नहीं है और कोई भी उनके बयान से सहमत नहीं है। उदयनिधि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के अध्यक्ष एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के बेटे हैं। द्रमुक विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों में से एक है। संजय राउत ने कहा कि दक्षिण भारत के एक खास क्षेत्र का धर्म पर अलग दृष्टिकोण हो सकता है, लेकिन उसे इसे अपने तक ही सीमित रखना चाहिए।
राज्यसभा सदस्य ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘इस तरह की टिप्पणी करके पूरे देश का गुस्सा भड़काना सही नहीं है। उदयनिधि ने सनातन धर्म पर जो टिप्पणी की है, उससे कोई भी सहमत नहीं है। भले ही ऐसे विचार व्यक्तिगत हों, उन्हें इसे अपने तक ही सीमित रखना चाहिए।” राउत ने कहा, ‘‘उनका निजी विचार हो सकता है और यह द्रविड़ संस्कृति का हिस्सा हो सकता है।” इस सप्ताह की शुरुआत में उदयनिधि ने सनातन धर्म की तुलना मलेरिया और डेंगू से की थी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बयान के लिए 28 विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ को निशाना बना रही है। द्रमुक के लोकसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री ए. राजा के बयान से विवाद और भड़क गया जब उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कुष्ठ रोग और एचआईवी जैसी बीमारियों से की। इस टिप्पणी के बाद भाजपा ने कहा कि यह विपक्षी दलों की ‘गहरे हिंदूफोबिया’ को दर्शाती है। राउत ने कहा कि हर धर्म में मान्यताएं और अंधविश्वास हैं, लेकिन छुआछूत जैसे मुद्दों पर विरोध की आवाज हिंदू धर्म के भीतर से उठी है।
उन्होंने कहा, ‘‘राजा राममोहन राय से लेकर ज्योतिबा फुले से लेकर बी. आर. आंबेडकर तक, देश ने कई महान समाज सुधारकों को देखा है, यही वजह है कि सनातन धर्म अभी भी देश में जीवित है।” राजा और उदयनिधि की टिप्पणियों पर विवाद छिड़ने के बाद कांग्रेस ने उनके बयानों से खुद को अलग करने की कोशिश की, जबकि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने भाजपा पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में फूट डालने का प्रयास करने का आरोप लगाया।