साल 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के 90,000 से ज्यादा सैनिकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। हम उनके साथ जैसा चाहते, वैसा व्यवहार कर सकते थे, लेकिन हमारी संस्कृति और परंपरा ऐसी है कि हमने पूरी तरह से मानवीय नजरिया अपनाया। उन्हें पूरे सम्मान के साथ उनके देश वापस भेजा।

दुश्मन देश के सैनिकों के साथ ऐसा व्यवहार मानवता के सुनहरे अध्यायों में से एक है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस’ के अवसर पर ये बात कही। पूर्व सैनिकों को सम्मान देने के लिए पूरे भारत में विभिन्न स्थानों पर 14 जनवरी को पूर्व सैनिक दिवस मनाया जा रहा है। इसे यादगार बनाने के लिए श्रीनगर, पठानकोट, दिल्ली, कानपुर, अलवर, जोधपुर, गुवाहाटी, मुंबई, सिकंदराबाद, कोच्चि और कई अन्य स्थानों पर पुष्पांजलि समारोह और पूर्व सैनिक रैलियां आयोजित की जा रही हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को वायु सेना स्टेशन, कानपुर में पूर्व सैनिक रैली को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सैनिक हर भारतीय के दिल में एक विशेष स्थान रखते हैं। “हमारे सैनिक परिवार, जाति और संप्रदाय से ऊपर उठ कर केवल राष्ट्र के बारे में सोच रखते हैं। वे अपने कर्तव्यों को प्रभावशाली रूप से परिपूर्ण करते हैं। वे यह जानते हैं कि यदि राष्ट्र सुरक्षित है, तो सभी कुछ सुरक्षित है। इससे उन्हें हर चुनौती का सामना करने के लिए नैतिक बल मिलता है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि पूर्व सैनिकों के हित सुनिश्चित करने के प्रयासों में कमी नहीं होगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां सरकार देश की प्रगति के लिए और अधिक प्रयास कर रही है, वहीं जनमानस की भी यह सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे सैनिकों और उनके आश्रितों के साथ अपने परिवार की तरह व्यवहार करें और यह सुनिश्चित करें कि हमेशा उनके हित में रहें। रक्षा मंत्री ने बताया कि भारतीय सैनिकों की बहादुरी, अखंडता, पेशेवर और मानवता का न केवल पूरे देश में बल्कि पूरे विश्व में सम्मानीय और इसकी पहचान है। उन्होंने कहा, “प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में हमारे सैनिकों की बहादुरी को दुनिया भर में सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है। हम भारतीय भी न सिर्फ अपने देश के सैनिकों का तथापि दूसरे देशों के सैनिकों का भी सम्मान करते हैं।”

इसी संदर्भ में उन्होंने पाकिस्तान के 90,000 सैनिकों की बात कही। इस अवसर पर, रक्षा मंत्री ने युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और वीर नायकों को उनके सर्वोच्च बलिदान और समर्पित सेवा के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की। वायु सेना प्रमुख ने उन पूर्व सैनिकों के योगदान को स्वीकार किया जिनकी मजबूत भावना, नेतृत्व और दूरदर्शिता ने आज की भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की नींव रखी। उन्होंने जानकारी दी कि लगभग 1.85 लाख आईएएफ पेंशनभोगियों को सिस्टम फॉर पेंशन एडमिनिस्ट्रेशन-रक्षा (स्पर्श) प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित कर दिया गया है, जो रक्षा पेंशन की मंजूरी और वितरण के लिए एक वेब-आधारित एकीकृत प्रणाली है।

वहीं नौसेना स्टाफ के प्रमुख ने कहा कि नौसेना पूर्व सैनिक समुदाय के समक्ष आने वाले विभिन्न विषयों के समाधान के लिए सक्रिय आउटरीच, सकारात्मक बातचीत और लगातार संचार के माध्यम से बहु-आयामी दृष्टिकोण के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि, पिछले साल, नौसेना ने लेह, लद्दाख और उत्तर पूर्वी राज्यों सहित विभिन्न स्थानों पर 58 आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए थे।

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