रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता दिए जाने का कड़ा विरोध करते हुए चेतावनी दी कि इस प्रकार की सहायता से उसकी धरती से गतिविधियां संचालित करने वाले आतंकवादी संगठनों को वित्त पोषण मिल सकता है। सिंह ने कहा कि आईएमएफ की सहायता का इस्तेमाल इन आतंकवादी संगठनों को वित्तपोषित करने के लिए किया जाएगा। पाकिस्तान को कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जानी चाहिए, अन्यथा वह आतंकवाद को वित्तपोषित करेगा। हम चाहते हैं कि आईएमएफ इस पर फिर से विचार करे।
राजनाथ सिंह ने एक तीखा बयान जारी किया, जिसमें सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने के लिए वैश्विक वित्तपोषण के दुरुपयोग पर भारत की चिंताओं को रेखांकित किया गया। भुज में राजनाथ ने कहा कि यह कोई छोटी बात नहीं है कि हमारी एयरफोर्स की पहुँच पाकिस्तान के हर कोने तक है, यह बात पूरी तरह साबित हो चुकी है। आज स्थिति यह है कि भारत के फाइटर प्लेन बिना सरहद पार किए ही, यहीं से उनके हर कोने तक प्रहार करने में सक्षम है। पूरी दुनिया ने देख लिया है कि कैसे आपने पाकिस्तान की धरती पर मौजूद, आतंकवाद के नौ ठिकानों को ध्वस्त कर दिया; बाद में की गई कारवाई में उनके अनेक एयरबेस तबाह कर दिए।
रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान इंडियन एयरफोर्स ने केवल पराक्रम ही नहीं दिखाया है, बल्कि पूरी दुनिया के सामने प्रमाण भी दिया है। प्रमाण इस बात का कि अब भारत की युद्ध नीति और तकनीकी दोनों बदल चुकी है। आपने नए भारत का संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल की ताक़त को तो पाकिस्तान ने ख़ुद स्वीकार किया है। हमारे देश में एक कहावत काफ़ी पुरानी है और वह है – “दिन में तारे दिखाना”। मगर भारत मे बनी ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तान दुश्मन को रात के अँधेरे में दिन का उजाला दिखा दिया है। भारत के जिस एयर डिफेंस सिस्टम की तारीफ़ हर तरफ़ हो रही है, उसमें DRDO द्वारा बनाये गए ‘आकाश’ और अन्य राडार सिस्टम की जबरदस्त भूमिका रही है।
जवानों का हौसला बढ़ाते हुए राजनाथ ने कहा कि आपने पाकिस्तान में मौजूदआतंकी बुनियादी ढाँचा के ख़िलाफ़ प्रभावी कारवाई की मगर पाकिस्तान फिर से इस कोशिश में लग गया है कि ध्वस्त हुए आतंकी ढाँचे को फिर से खड़ा किया जाये। वहाँ की सरकार, पाकिस्तानी आम नागरिकों से लिया गया टैक्स, ‘जैश ए मुहम्मद’ जैसे आतंकी संगठन के आका मसूद अजहर को करीब चौदह करोड़ रुपए देने में खर्च करेगी। जबकि वह संयुक्त राष्ट्र नामित आतंकवादी घोषित है।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, ‘लश्कर ए तैयबा और जैश ए मुहम्मद’ के मुरीदके और बहावलपुर स्थित आतंकी ढाँचे को फिर से खड़ा करने के लिए पाकिस्तान सरकार ने आर्थिक सहायता देने के ऐलान किया है। निश्चित रूप से IMF से आने वाले एक बिलियन डॉलर के बड़े हिस्से को terror infrastructure को फंड करने में इस्तेमाल होगा। क्या यह IMF द्वारा जो कि एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन द्वारा अप्रत्यक्ष वित्त पोषण नहीं माना जाएगा? मैं मानता हूँ कि आज के समय में पाकिस्तान को किसी भी तरह की आर्थिक सहायता आतंक वित्तपोषण से कम नहीं है। भारत यही चाहेगा कि IMF पाकिस्तान को अपनी एक बिलियन डॉलर की सहायता पर पुनर्विचार करे और आगे भी किसी भी तरह की सहायता देने से परहेज करे।